Monday, Dec 11, 2023
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Why did women lag behind in many countries including Superpower ALBSNT

राजनीति में महिलाओं की No Entry! सुपरपावर समेत अनेक देशों में आखिर महिलाएं क्यों रही पीछे?

  • Updated on 12/3/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। जब कभी-भी पुरुष के मुकाबले महिलाओं के कार्यक्षमता की तुलना की जाएगी तो निश्चित रुप से कहा जा सकता कि अब घर की चोखट लांघकर आगे बढ़ चुकी है। लेकिन अभी-भी राजनीति ऐसा क्षेत्र है जहां कम ही महिलाएं अपना परचम लहराई है। हम बात भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया भर की महिलाओं की कर रहे है, जब राजनीति में सक्रियता की चर्चा होगी तो जरुर निराशा ही हाथ लगेगी। फिर अमेरिका जैसा सुपरपॉवर देश ही क्यों न हो।

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हालांकि आजकल कमला हैरिस के अगले उपराष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के संदर्भ में यह सवाल उठना लाजिमी है। अमेरिका सहित तमाम ऐसे देश है जहां 21 वीं सदी में भी शीर्ष राजनयिक पद पर महिलाएं काबिज नहीं हुई है। वैसे हिलेरी क्लिंटन जरुर पिछली बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थी। लेकिन राष्ट्रपति नहीं बन सकी। वहीं अमेरिका में कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति बनने से भारत ही गौरवान्वित नहीं होगा बल्कि अमेरिका में भी कोई महिला पहली बार ताकतवर पोस्ट पर पहुंचने जा रही है।

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बता दें कि अमेरिका में अब तक किसी महिला के किसी ताकतवर पोस्ट पर नहीं पहुंचना हैरानी पैदा करती है। जब हिलेरी को हार का सामना करना पड़ा तो उन्होंने स्वीकार किया कि महिला होने के नाते उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। दूसरी तरफ एक आंकड़े पर नजर दौड़ाए तो साफ हो जाएगा कि साल 1960 के बाद लगभग 57 देशों में महिलाएं शीर्ष पद पर पहुंची। स्टेटिस्टा ने यह आंकड़ा जारी किया है। दुनिया में खुद को विकसित देश के तौर पर स्थापित कर चुके सुपरपावर अमेरिका ही नहीं बल्कि जापान, रूस, चीन, इटली और सऊदी अरब में भी शीर्ष पद पर महिला नहीं पहुंच सकी है। जो दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है। 

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