नई दिल्ली/टीम डिजिटल। तेजी से बढ़ते डायबिटीज के मरीजों को ध्यान में रखते हुए देश भर में डायबिटीज दवाओं पर शोध निरंतर जारी है। कई अस्पतालों ने इन शोध को लेकर कई अध्ययन जारी किये इनमें डायबिटीज को लेकर उससे जुड़े कई खर्चों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। 14 नवम्बर को मनाये जाने वाले विश्व मधुमेह दिवस पर नेशनल डायबिटीज ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन(एन-डीओसी) ने भी अध्यन जारी किया। अध्ययन का उद्देश्य पिछले 9 साल के दौरान सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं (20 ब्रांड्स) के बिक्री चलन पर ध्यान देना था विशेष तौर पर एंटी-डायबिटिक दवाओं के। अध्ययन में दवाओं की बिक्री के चलन और पुरानी के बदले नई ओएडी व इंसुलिन के प्रिस्क्रिप्शन पैटर्न में आए बदलावों पर ध्यान दिया गया।
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इसमें डेटा जुटाने एवं कंप्युटेशन के लिए स्टैंडर्ड वैलिडेशन मैथड इस्तेमाल किए गए। दवाओं की बिक्री को लेकर फोर्टिस सी डीओसी हॉस्पिटल फॉर डायबिटीज एंड एलाइड स्पेशियलिटीज के चेयरमैन एवं (एन-डीओसी) के प्रेसीडेंट डॉ.अनूप मिश्रा के नेतृत्व में अध्ययन किया गया। इसमें देशभर के करीब 60,000 डिस्ट्रीब्यूटर्स और 7 लाख केमिस्ट्स शामिल हैं। फार्मास्युटिकल्स स्टॉकिस्टों और डिस्ट्रीब्यूटरों द्वारा हर महीने की गई दवा बिक्री, जिसमें सेकेंड्री सेल्स भी शामिल हैं। 2008 से 2012 के बीच इंसुलिन की बिक्री 151.2 करोड़ रुपए से 44 फीसदी बढ़कर 218.7 करोड़ रुपए हो गई।
इंसुलिन की बिक्री में 2012 और 2014 के दौरान तेजी दर्ज की गई और बिक्री 218.7 करोड़ रुपए से 114 फीसदी बढ़कर 467.8 करोड़ रुपए हो गई। 2013 से 2015 के दौरान ओएडी की बिक्री 278.5 करोड़ रुपए से 105 फीसदी बढ़कर 570.9 करोड़ रुपए हो गई। फोर्टिस सी-डीओसी हॉस्पिटल फॉर डायबिटीज एंड अलाइड स्पेशियलिटीज के चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा, हमारे आंकड़ों के अनुसार, महंगी दवाओं की बढ़ती बिक्री चिंता की बात है क्योंकि ज्यादातर भारतीय यह खर्च अपनी जेब से करते हैं और करीब 7 फीसदी आबादी ऐसी होती है जिन्हें डायबिटीज की वजह से अत्यधिक आर्थिक बोझ वहन करना पड़ता है।
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स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आने वाले रोगियों की संख्या बेहद कम है और इसमें भी बीमा कंपनियां सिर्फ अस्पताल में भर्ती होने पर ही खर्च का भुगतान करती हैं। भारत में बड़ी मात्रा में नई ओरल दवाओं और इंसुलिन का अविवेकी उपयोग देखने को मिल रहा है और यहां महत्वपूर्ण बात है कि भारतीय फिजिशियंस को इस बारे में जागरूक बनाने की जरूरत है ।
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