Friday, Sep 29, 2023
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#WorldDiabetesDay हर्बल चिकित्सा है बेहतर वैकल्पिक उपचार

  • Updated on 11/14/2017

नई दिल्ली/टीम डिजिटल।  देश की अर्थव्यवस्था पर मधुमेह बहुत बड़ा बोझ साबित हो रहा है। डब्ल्यूएचओ के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देशभर में डायबिटिक मरीजों की तादाद 5 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। वहीं इस बीच उत्साहित होने की बात यह है कि इस बीमारी से बचाव में हर्बल चिकित्सा काफी अहम भूमिका निभा रही है। इसका ताजा प्रमाण यह है कि हाल ही में विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की आयुर्वेद दवा बीजीआर-34 को देश में टॉप 20 का दर्जा प्राप्त हुआ है।

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सीएसआईआर की प्रयोगशाला नेशनल बॉटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के वैज्ञानिक डॉ. ए. के. एस. रावत ने बताया कि फार्मास्युटिक मार्केट रिसर्च आर्गेनाइजेशन एआईओसीडी अवाक्स की ताजा रिपोर्ट में पिछले दो सालों के भीतर बाजार में आए 6414 दवा ब्रांडों में से टॉप-20 का चयन किया गया था, जिसमें सीएसआईआर की मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 को भी शामिल कर लिया गया है। डॉ. रावत के मुताबिक हर्बल चिकित्सा की उपयोगिता, प्रभाव और मांग में इजाफा हुआ है। वहीं मधुमेह ग्रस्त मरीजों में आयुर्वेद के प्रति विश्वास भी प्रबल हुआ है।

एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा के मुताबिक दवा विपणन के साथ-साथ लोगों को मधुमेह और आयुर्वेद के प्रभाव के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए बाकायदा शिविर लगाए जा है। सनद रहे कि मधुमेह (डायबिटिक) मरीजों के मामले में इंडिया टॉप पर है। बीते एक दशक में देशभर में मधुमेह रोगियों की तादाद दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है। डब्ल्यूएचओ के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 5 करोड़ से ज्यादा डायबिटिक रोगी हैं। 

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टाइप 2 डायबिटीज प्रमुख समस्या

मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार दिल्ली के 37 प्रतिशत और पूरे भारत में 43 प्रतिशत नमूनों से उच्च जोखिम का पता चला है । भारत में टाइप 2 डायबिटीज स्वास्थ्य से जुड़ी एक प्रमुख समस्या है और पिछले कुछ दशकों में इसका तेजी से प्रसार हुआ है। एचबीए1सी टेस्ट डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षणों में से एक है। एचबीए1सी टेस्ट तीन महीने की अवधि के दौरान खून में ग्लूकोज के स्तर को बताता है। एचबीए1सी टेस्ट का मान जितना अधिक होगा, इस बीमारी के चिरस्थाई होने का खतरा भी उतना ही ज्यादा होगा।

एचबीए1सी टेस्ट का मान अधिक होने का अर्थ यह भी है कि शरीर में खून में ग्लूकोज का स्तर काफी बढ़ गया है। आदर्श रूप में एचबीए1सी का मान 6.4 प्रतिशत से नीचे होना चाहिए। आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों के लिए इसका मान 6.5 प्रतिशत से अधिक होता है। बेहतर स्वास्थ्य और डायबिटीज से संबंधित बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए डायबिटीज के मरीजों को एचबीए1सी का मान 7 से रखना चाहिए। टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए एचबीए1सी में 1 प्रतिशत (या 11 एमएमओएल / एमओएल) की सुधार से माइक्रोवैस्कुलर जटिलताओं का खतरा 25 प्रतिशत कम हो जाता है।

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माइक्रोवैस्कुलर जटिलताओं में शामिल हैं रेटिनोपैथी, न्यूरोपैथी, डायबिटीज नेफ्रोपैथी (किडनी की बीमारी) इस शोध से यह भी पता चला है कि टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त लोग अगर एचबीए1सी के स्तर को 1 प्रतिशत तक कम कर लेते हैं तो उन्हें मोतियाबिंद होने की संभावना 19 प्रतिशत कम हो जाती है हृदय गति रुकने की संभावना 16 प्रतिशत कम हो जाती है। शरीर के अंगों को काटे जाने की स्थिति अथवा पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज के कारण मौत की संभावना 43 प्रतिशत कम हो जाती है। 

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