नई दिल्ली/ अनामिका सिंह। अब वो समय काफी पीछे छूट गया है जब हिंदी को गुजरे जमाने की भाषा कहा जाता था, या साहित्यकार हिंदी भाषा की दुर्दशा का रोना रोया करते थे। करीब एक दशक में हिंदी ने अपने स्तर में उछाल मारते हुए खुद को वैश्विक स्तर की भाषा बना दिया है। यदि आंकडों की बात करें तो साल 2016 में ही विश्व आर्थिक मंच ने 10 सर्वाधिक शक्तिशाली भाषाओं की सूची में हिंदी को भी रखा था। यही नहीं संयुक्त राष्ट्र रेडियो अपना प्रसारण हिंदी में करना आरंभ कर चुका है और अगस्त 2018 से संयुक्त राष्ट्र ने साप्ताहिक हिंदी समाचार बुलेटिन का भी आरंभ किया है।
25 से अधिक पत्रिकाएं प्रकाशित की जा रही है बता दें कि हिंदी भाषा की धमक को महसूस करने के लिए यह जानना भी काफी होगा कि आज विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैंकडों केंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से शोध स्तर तक हिंदी के अध्ययन व अध्यापन की व्यवस्था हुई है। इतना ही नहीं विदेशों में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित की जा रही हैं।
यही वजह है कि भारत को बाजार के रूप में देखने वाले अन्य देशों के लिए हिंदी भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य होता जा रहा है। बात यदि तकनीक व आधुनिक बदलावों की करें तो हर जगह हिंदी ने अपना परचम लहराया है और टेक्नोलाॅजी को हिंदीमय होना पडा है। फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिंदी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली है।
'हिंदी में रोजगार के साधन सीमित हैं' रोजगारोन्मुखी है हिंदी: जो लोग ये कहतेे थे कि हिंदी में रोजगार के साधन सीमित हैं अब वो कल की बात हो गई है। हिंदी भाषा की जनसंख्या को देखते हुए कई काॅल सेंटर से लेकर सरकारी विभागों में हिंदी विभाग तक का गठन किया जाता है। वहीं हिंदी तकनीक से जुडकर रोजगारोन्मुखी हो गई है। यही वजह है कि ईमेल, ईकाॅमर्स, ईबुक, इंटरनेट, एसएमएस व वेब जगत में हिंदी को बडा प्लेटफाॅर्म मिल पाया है। माइक्रोसाॅफ्ट, गूगल, आइबीएम तथा ओरेकल जैसी कंपनियों ने अधिक मुनाफे की लालसा में हिंदी को बढावा देना शुरू कर दिया है।
मंडी में बनानी है पहचान तो हिंदी अनिवार्य: भारत को एक मंडी के रूप में विश्वभर की कंपनियां देख रही हैं। यही वजह है कि उन्हें अपने प्रोडक्ट्स बेचने के लिए हिंदीभाषियों की आवश्यकता होती है। यही नहीं कंपनियों को अपना प्रोडक्ट्स मशहूर करने के लिए विज्ञापन तक हिंदी में बनवाने पडते हैं ताकि वो गांवों तक अपनी पकड बना सकें।
एप के संसार में हिंदी ने बनाई जगह एप के संसार में हिंदी ने बनाई जगह: एक दशक पहले तक गूगल प्ले स्टोर से कोई भी एप डाउनलोड करने पर भाषा चुनने में हिंदी का विकल्प नहीं आता था। वहीं अब हिंदी अनिवार्य हो गई है। बैकिंग एप, ग्राॅसरी एप, मार्केटिंग एप हो या फेसबुक, ट्विटर और व्हाॅट्सएप हरेक एप में हिंदी ने अपनी जगह बना ली है। गूगल ने भी हिंदी टाइपिंग को लेकर गूगल इंडिक बनाया है ताकि हिंदी टाइपिंग को सुविधाजनक बनाया जा सके।
टाईप राईटर से यूनिकोड तक टाईप राईटर से यूनिकोड तक: पहले हिंदी में तकनीक सिर्फ टाईप राईटर तक ही सीमित थी, उसके प्रति भी युवाओं की दिलचस्पी घटती चली जा रही थी। लेकिन अब कई एप ऐसे भी आ गए हैं जिनमें हिंदी टाइप ही नहीं बल्कि बोलकर भी टाइप किया जा सकता है। ये हिंदी की अनिवार्यता को दर्शाता है कि गूगल ने भी हिंदी को विशिष्ट स्थान दिया है। यही नहीं यूनिकोड व गूगल ट्रांसलेशन ने सीखने वालों का काम भी आसान कर दिया है।
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