Wednesday, Mar 29, 2023
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would rather die than join hands with bjp: bihar cm nitish kumar

मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन बनाने में जुटे नीतीश कुमार ने भाजपा से तौबा

  • Updated on 1/30/2023

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाने के बजाय ‘‘मरना पसंद करेंगे।'' उनकी यह टिप्पणी तब आयी है, जब भाजपा ने फैसला किया है कि जनता दल (यूनाइटेड) के “अलोकप्रिय” नेता से फिर से गठबंधन करने का कोई सवाल ही नहीं है। कुमार ने यह टिप्पणी उत्तर बिहार के दरगंभा में प्रदेश भाजपा की दो दिवसीय राज्य कार्यकारिणी की बैठक में किये गए फैसले के बारे में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर की। कुमार ने यहां पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा, ‘‘मर जाना कबूल है, लेकिन उनके साथ जाना हमको कभी कबूल नहीं है, यह याद रखिए।'' उन्होंने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित एक समारोह से इतर भाजपा को 2010 के विधानसभा चुनाव समेत उनके नेतृत्व में मिली शानदार सफलता की याद दिलायी।

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साल 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 91 सीट पर जीत हासिल की थी, जो राज्य में उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन था। जद(यू) नेता ने भाजपा को यह भी याद दिलाया कि गठबंधन में रहते हुए उसे मुस्लिमों समेत उनके सभी समर्थकों के वोट मिलते थे, जो भाजपा की हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर हमेशा ‘‘सतर्क'' रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज के दिन बापू की हत्या हुई थी। और उनकी हत्या उन लोगों ने की थी, जिन्हें मुस्लिमों की रक्षा करने की उनकी प्रतिबद्धता से दिक्कत थी।'' कुमार ने यह भी कहा कि 2013 में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद उन्होंने 2017 में फिर से भाजपा से गठबंधन करके ‘‘भूल'' की थी। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनके पिता (राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद) के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए। कुछ सामने नहीं आया।

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उन्होंने (भाजपा) एक बार फिर मुझ पर हाथ मिलाने का दबाव बनाया। अब वे इन लोगों को फिर से दूसरे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।'' समाजवादी नेता ने कहा, ‘‘जब 2020 में हमारी पार्टी को उनसे कम सीट मिली थी, तो मैंने मुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया था। हमारे मतदाताओं ने उनका समर्थन किया, जिससे उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली। उन्होंने फिर से कमान संभालने का मुझ पर दबाव बनाया, लेकिन मेरी पार्टी में, चुनावों में उनकी संदिग्ध भूमिका को लेकर नाराजगी बढ़ रही थी और मैंने रास्ते अलग करने का निर्णय लिया।'' भाजपा द्वारा ‘‘आदतन विश्वासघाती'' बताए जाने वाले कुमार ने यह भी दावा किया कि उनके गठबंधन की सफलता के चरम पर भी भाजपा का जद(यू) के प्रति रवैया सही नहीं था।

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उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘2010 में उन्हें पांच या छह जगहों पर चुनाव लड़ने के लिए जेएमएम जैसे दल मिले, जिनके चुनाव चिह्न हमारी पार्टी से मिलते-जुलते थे, ताकि हमारे मतदाता भ्रमित हो जाएं। इससे हमें पांच या छह सीट पर नुकसान हुआ।'' उन्होंने भाजपा के उस दावे की भी खिल्ली उड़ायी कि उसे राज्य में अगले साल होने वाले आम चुनावों में लोकसभा की 40 में से 36 सीट मिलेगी। कुमार ने दावा किया, ‘‘जब चुनाव होंगे, तो उन्हें सच्चाई पता चल जाएगी। मुझे उम्मीद है कि उनका विरोध करने वाले दल उन्हें हराने के लिए देशभर में एकजुट हो जाएंगे। बिहार में उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी।'' जद(यू) अब राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वाम के महागठबंधन का हिस्सा है। किसी भी नेता का नाम लिए बगैर कुमार ने ‘‘प्रचार-प्रसार'', स्थानों के नाम परिवर्तन तथा रेलवे के लिए अलग बजट लाने जैसी लंबे समय से चल रही प्रक्रियाओं को खत्म करने के लिए केंद्र में मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन पर निशाना साधा।

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