Wednesday, Mar 22, 2023
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यशवंत सिन्हा बोले- चुनाव जीतने के मकसद से बन रही मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां

  • Updated on 3/20/2022

नई दिल्ली/एजेंसी। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कल्याण योजनाओं पर भारी खर्च की वजह से राजकोषीय स्थिति पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है और राजकोषीय घाटा असामान्य रूप से ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। सिन्हा ने आरोप लगाया, ‘‘आज सरकार की आर्थिक नीतियां इस आधार पर तय होती हैं कि क्या इनसे उसे चुनाव जीतने में मदद मिलेगी या नहीं।''

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उन्होंने कहा, ‘‘इससे एक ओर गरीबों के लिए ‘कल्याण' चल रहा है, दूसरी ओर चुनिंदा कॉरपोरेट अत्याशित फायदा कमा रहे हैं। यह कुछ ऐसा हो रहा है जिसको लेकर देश में किसी को चिंता नहीं है।'' सिन्हा ने कहा कि हैरानी है कि किसी को सरकार की राजकोषीय स्थिति की चिंता नहीं है, सरकार को खुद भी नहीं। तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने कहा, "मोदी सरकार मुफ्त अनाज सहित अन्य कल्याण योजनाओं पर बेहद राशि खर्च कर रही है। सरकार की राजकोष की हालत डंवाडोल है।

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राजकोषीय घाटा असामान्य रूप से ऊंचे स्तर पर है। यह सरकार के उन आंकड़ों से भी ज्यादा है, जिन्हें ‘भरोसेमंद' नहीं माना जाता है।" देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है। पहले इसके 6.8 फीसदी रहने का अनुमान था। 

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सिन्हा ने कहा कि यह मजबूत राजकोषीय नीतियों और मजबूत आर्थिक नीतियों के बीच स्पष्ट रूप से असंतुलन की स्थिति है। यही आज की सचाई है। एक सवाल के उत्तर में सिन्हा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति और वृद्धि की चुनौतियों से जूझना होगा। चालू वित्त वर्ष में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

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सिन्हा ने कहा कि आज अर्थव्यवस्था को सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र से निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो रहा है। सरकारी निवेश नहीं बढ़ रहा है। निजी निवेश भी कमजोर है। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से निवेश कमजोर है। ‘‘निवेश के अभाव में भारतीय अर्थव्यवस्था प्रगति नहीं कर पाएगी.''

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