नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। यस बैंक (Yes Bank) में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के 545 करोड़ रुपया नकदी जमा कराने पर विपक्षी दलों के हमले में घिरी ओडिशा (Odisha) सरकार ने रविवार को केंद्र सरकार से मदद मांगी। ओडिशा सरकार ने केंद्र सरकार से क्षद्धालुओं के हित में पैसे रिलीज करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुरी (Ranjan Puri) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को इसके लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। पत्र में जगन्नाथ के पैसे को रिलीज करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) को उचित निर्देश जारी करें।
रकम को लेकर सेवायतों और श्रद्धालुओं में रोष निरंजन ने पत्र में कहा कि जगन्नाथ मंदिर से जुड़े विभिन्न फंड का प्रबंधन श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की समिति सरती है। इस फंड में से 545 करोड़ रुपये टीडीआर के तौर पर यस बैंक में जमा कराए गए थे। जो इसी महिने पूरे होने वाले थे।
बता दें कि यस बैंक (Yes Bank) पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध लगाने के बाद कई लोगों की जमापूंजी फस गया है। इन नामों में एक नाम जगन्नाथ (Jagannath) महाप्रभु का भी है जिनके 545 करोड़ रुपया यस बैंक में फंस गया है। इस बैंक के खाता धारक अब 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल पाएंगे। बताया जा रहा है कि जगन्नाथ महाप्रभु की इतनी बड़ी रकम प्राइवेट बैंक में रखने को लेकर सेवायतों और श्रद्धालुओं में भारी रोष है।
भगवान का पैसा पूरी तरह सेफ भगवान जगन्नाथ के पैसों को लेकर ओडिशा के मंत्री प्रताप जेना ने कहा है कि भगवान का पैसा पूरी तरह सेफ है। उन्होंने कहा कि यह रूपये बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के रूप में रखे गए हैं ना कि बचत खातों के रुप में। मार्च 2029 में एफडी की अवधि पूरी हो जाएगी, इसके बाद मंदिर प्रबंधन पैसे निकालकर किसी राष्ट्रीय बैंक में जमा करा देगा।
बता दें कि देश में निजी क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा बैंक यस बैंक (Yes bank) आज संकट से जूझ रहा है। बैंक निदेशकों की लापरवाही बैंक ग्राहकों की मुसीबत तब बन गई जब सरकार ने बैंक से पचास हजार रुपये से अधिक की निकासी पर रोक लगा दी। खबर मिलते ही बैंक के एटीएम (ATM) के बाहर ग्राहकों की कतारें लगनी शुरु हो गई।
बैंक तय करेगा, जमाकर्ता को कितने पैसे वापस करने हैं इस बिल के तहत पब्लिक क्षेत्रों के बैंकों को यह अधिकार दिया जाता है कि बैंक के डूबने या दिवालिया होने के हालत में बैंक तय करेगा कि जमाकर्ता को कितने पैसे वापस करने हैं। इसका मतलब यह है कि अगर बैंक डूब रहा है तो बैंक के साथ आप भी डूब सकते हैं। कोई भी बैंक, इंश्योरेंस कंपनी (Insurance Company) और दूसरे वित्तीय संस्थान के दिवालिया होने की स्थिति में उबारने के लिए यह कानून लाया गया था। इसके तहत पहले जमाकर्ता को एक लाख रुपये की गारंटी दी जाती थी, जिसे बाद में संशोधित कर पांच लाख रुपये कर दिया गया।
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