Tuesday, Dec 12, 2023
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किसान महापंचायत में योगेंद्र यादव का योगी सरकार पर हमला, बोले- वो तोड़ेंगे...हम जोड़ेंगे

  • Updated on 9/5/2021

नई दिल्ली/टीम डिजिटल।  यूपी के मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित किसान महापंचायत में केंद्र की मोदी सरकार के साथ यूपी की योगी सरकार पर भी जमकर प्रहार किए गए। किसान नेताओं ने अपने अंदाज में सरकार पर हमला बोला। राकेश टिकैत ने जहां अगले वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपने इरादे को बुलंद किए और दावा किया कि ‘सेल फार इंडिया’ का बोर्ड देश में लग चुका है और जो देश बेच रहे हैं उनकी पहचान करनी पड़ेगी और बड़े-बड़े आंदोलन चलाने पड़ेंगे। 

महापंचायत में टिकैत बोले- देश में लगा है ‘सेल फार इंडिया’ का बोर्ड, चलाने पड़ेंगे बड़े आंदोलन


वहीं, स्वराज इंडिया और किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे योगेंद्र यादव ने मोदी और यूपी की योगी सरकार पर सांप्रदायिक सियासत खेलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की विभाजनकारी राजनीति अब उत्तर प्रदेश में नही चलेगी। आज किसान ने मुजफ्फरनगर महापंचायत से सरकार को चेता दिया है और दिल्ली तक आवाज पहुंचा दी है। वो तोड़ेंगे...हम जोड़ेंगे।

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स्वराज इंडिया के नेता ने कहा, 'यह वही जगह है जहां पर भाजपा ने हिंदू मुस्लिम के बीच वैमनस्यता पैदा कर समाज को बांटने का प्रयास किया था। किसान आंदोलन भाजपा द्वारा लगाई गई इस आग को बुझा कर समाज को संगठित करने का काम करेगा। इस महापंचायत से राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यक्रम की नई दिशा तय होगी। '

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योगेंद्र यादव ने कहा, 'जो लोग यह कह रहे थे कि किसान आंदोलन अब ठंडा पड़ गया वो आज की इस ऐतिहासिक महापंचायत की एक झलक से इस आंदोलन की ताकत का एहसास कर लें। आज मुजफ्फरनगर में किसान ने इतिहास रच दिया है। देश के इतना बड़ा जमावड़ा पहले कभी नही देखा था।' उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दाना दाना खरीद का वादा करके सिर्फ 18% की खरीद की गेंहू की। अब किसान सरकार की चाल में नहीं फसने वाला। अब किसान अपना हक़ लेगा और सरकार का अहंकार तोड़ेगा।

महापंचायत को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'जो देश के लोगों को बाँटें वो योगी नहीं बल्कि देश द्रोही है। किसान भाजपा सरकार की विभाजनकारी राजनीति अब उत्तर प्रदेश में नहीं चलने देगा। आज किसान ने मुजफ्फरनगर से कह कर दिल्ली तक आवाज पहुंचा दी है। वो तोड़ेंगे...हम जोड़ेंगे। हमारे देश के अन्नदाता पिछले 9 महीनो से दिल्ली की सीमाओं पर संघर्ष कर रहे है जब तक किसानों को न्याय नहीं मिलती तब तक किसान पीछे नहीं हटेंगे।'

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बता दें कि कार्यक्रम को अधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर समेत कई प्रमुख वक्ताओं ने संबोधित किया। यादव को मंच पर टिकैत ने पीला वस्त्र दिया। इस अवसर पर राकेश टिकैत को एक गदा भी भेंट की गई और कर्नाटक की एक महिला किसान नेता ने सभा को कन्नड़ भाषा में संबोधित किया। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के अनुसार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे विभिन्न राज्यों के 300 किसान संगठनों के किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं, जहां 5,000 से अधिक लंगर (भोजन स्टाल) लगाए गए हैं। संगठनों के झंडे और अलग-अलग रंग की टोपी पहने किसान बसों, कारों और ट्रैक्टरों के जरिए यहां पहुंचते देखे गए। आयोजन स्थल के आसपास कई चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं। जीआईसी कॉलेज के मैदान तक पहुंचने में असमर्थ लोगों को कार्यक्रम देखने की सुविधा प्रदान करने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई हैं। 

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इसके पहले, मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने आयोजन स्थल और महापंचायत के प्रतिभागियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने के राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अनुरोध को खारिज कर दिया है। सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह ने रालोद के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज किया कि सुरक्षा कारणों से इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने जिला प्रशासन से आंदोलन कर रहे किसानों के सम्मान में महापंचायत पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की अनुमति मांगी थी।     जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक उमेश मलिक के आवासों पर पुलिस तैनात कर दी। 

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संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को एक बयान में दावा किया था, 'पांच सितंबर की ‘महापंचायत’ राज्य और केंद्र की योगी-मोदी सरकार को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की ताकत का एहसास कराएगी। मुजफ्फरनगर ‘महापंचायत’ पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी।' बयान में कहा गया कि ‘महापंचायत’ में भाग लेने वाले किसानों के लिए 100 चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं। पंजाब के कुल 32 किसान संघों ने राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए आठ सितंबर की समय सीमा दी है और कहा कि अगर मामले वापस नहीं लिए जाते, तो किसान आठ सितंबर को बड़े विरोध के लिए खाका तैयार करेंगे। 

गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है। किसान उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्हें डर है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म कर देंगे। सरकार, जो प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में कानूनों को पेश कर रही है, उसके साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोडऩे में विफल रही है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के बेटे चरण सिंह टिकैत ने शनिवार को कहा था कि जब तक सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक उनके पिता घर नहीं आएंगे। इस बीच, मुजफ्फरनगर जिले के अधिकारियों ने‘महापंचायत’के मद्देनजर शराब की सभी दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि शराब की सभी दुकानों को शनिवार शाम छह बजे से पांच सितंबर को महापंचायत खत्म होने तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की ²ष्टि से यह कदम उठाया गया है।

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