Monday, May 29, 2023
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yogendra yadav said modi govt is stuck due to its grave mistake on the china border, but rkdsnt

योगेंद्र यादव बोले- चीन सीमा पर अपनी गंभीर भूल के चलते मोदी सरकार फंस गई है, लेकिन ...

  • Updated on 6/3/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। लद्दाख में भारत-चीन सैनिकों के बीच तनाव के बीच विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरना शुरु कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चीन सीमा विवाद को लेकर देश की गुमराह कर रही है और हालात की गंभीरता को सामने नहीं रख रही है। इसको लेकर स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने भी अपने विचार अपने आलेख में जाहिर किए हैं। 

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योगेंद्र यादव का कहना है कि बेशक, चीन सीमा पर अपनी गंभीर भूल के चलते मोदी सरकार फंस गई है। लेकिन राष्ट्रहित की मांग है कि अब प्रधानमंत्री विपक्ष के प्रमुख नेताओं को विश्वास में लें और विपक्ष संकट की इस घड़ी में इस भूल के लिए प्रधानमंत्री पर हमला ना करे।

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द प्रिंट को दिए अपने लेख में यादव कहते हैं कि माना जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा मोदी सरकार की तरकश का सबसे चोखा तीर है, लेकिन इसके साथ ही विपक्ष खास तौर पर कांग्रेस को भी सतर्क रहना होगा। इसको लेकर योगेंद्र ने 1962 की हार पर अटल बिहारी वाजपेयी के बयान का जिक्र किया है। स्वराज इंडिया के नेता का मानना है कि अच्छा यही होगा कि विपक्ष ऐसे लालच में फंसने से बाज आये। राष्ट्रहित हमेशा पार्टी हित से ऊंचा और बड़ा होता है। प्रधानमंत्री को आरोपों की सूली पर टांगना ठीक नहीं, चाहे वे ऐसे नरम बरताव के हकदार हों या नहीं क्योंकि अगर ऐसा ना किया गया तो दरअसल चोट हम सब पर साझे में पड़ेगी।

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योगेंद्र यादव का कहना है कि ऐसे नाजुक समय में हमें विशेषज्ञों की राय से सीख लेनी चाहिए और किसी सियासी फैसले पर पहुंचाा चाहिए। अपनी दलगत लाभ-हानि के राय से ऊपर उठकर देश के दीर्घकालिक हित में सोचने का भी समय है। राष्ट्रीय सुरक्षा के एतबार से भारत को दीर्घकालिक खतरा पाकिस्तान या फिर बैर ठाने बैठे किसी अन्य पड़ोसी से नहीं है। महाकाय आर्थिक और सैन्य ताकत वाली एक चीनी राजसत्ता ही है जिसकी हमें चिंता करनी चाहिए क्योंकि चीन दूर की सोचकर योजना बनाने की सलाहियत रखता है।

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अपने वह आगे लिखते हैं, हमें ठीक-ठीक नहीं पता कि चीन ऐसा आखिर क्यों कर रहा है। चीन इस बार ये तक स्वीकार नहीं रहा कि उसकी सेना ने अतिक्रमण किया है, जबकि डोकलाम में उसने अतिक्रमण की बात मानी थी। लेकिन ये तय हैं कि चीन ने ऐसा कदम किसी बेख्याली में नहीं उठाया, ना ही उसका ये कदम किसी उकसावे की काट में आयी किसी चलताऊ प्रतिक्रिया की ही तरह है। चीन का यह कदम उसकी किसी दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है।

 

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