नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में हुए हिंसक प्रदर्शन के मामले के आरोपियों के पोस्टर एक बार फिर जारी किए गए हैं।
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पुलिस ने लगाए प्रदर्शनकारियों के पोस्टर पुलिस सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि सीएए के खिलाफ पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए प्रदर्शन में शामिल आठ लोगों पर गैंगस्टर ऐक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। पुलिस ने राजधानी के कई थानों और सार्वजनिक स्थलों पर इन प्रदर्शनकारियों की तस्वीर वाले पोस्टर लगाए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस ने दो अलग-अलग पोस्टर जारी किये हैं। एक पोस्टर में उन प्रदर्शनकारियों की तस्वीर और पते हैं, जिन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही हुई है, जबकि दूसरे में वे प्रदर्शनकारी हैं, जो फरार तो हैं लेकिन उन पर गैंगस्टर एक्ट नहीं लगा है।
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जानकारी देने वाले को मिलेगा इनाम इन पोस्टर पर यह भी लिखा गया है कि इन प्रदर्शनकारियों की जानकारी देने वाले को पांच हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। पहले पोस्टर में जिन आठ फरार प्रदर्शनकारियों का विवरण हैं, उन पर गैंगस्टर के तहत कार्यवाही की गई है। इनमें मोहम्मद अलाम, मोहम्मद तहिर, रिजवान, नायब उर्फ रफत अली, अहसन, इरशाद, हसन और इरशाद शामिल हैं। इन सभी पर ठाकुरगंज थाने में मामला दर्ज है।
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इन लोगों के लगे पोस्टर दूसरे पोस्टर में शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक के बेटे कल्बे सिब्तैन 'नूरी', इस्लाम, जमाल, आसिफ, तौकीर उर्फ तौहीद, मानू, शकील, नीलू, हलीम, काशिफ और सलीम चौधरी के नाम शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक यह प्रदर्शनकारी पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए के विरुद्ध हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल थे और हिंसा भड़का रहे थे।
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पिछले साल किया था विरोध प्रदर्शन गौरतलब है कि पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान हुआ था। इस मामले में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अलग-अलग थानों में मामले दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की गई थी।
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प्रशासन ने पहले भी लगाए थे होर्डिंग प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान के मुआवजे के लिए लखनऊ जिला प्रशासन ने उस समय भी प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों की होर्डिंग लगवा दी थी। इस पर काफी विवाद हुआ और मामला अदालत में चला गया था। उच्च न्यायालय ने प्रशासन के इस कदम पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए होर्डिंग हटाने के आदेश दिए थे। सरकार ने फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, जहां यह मामला अभी विचाराधीन है।
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