नई दिल्ली/अनामिका सिंह। माइनाॅरिटी के लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में अभी भी उतने अच्छे तरीके से जानकारियां नहीं हैं। जिससे वो सरकार की कई योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। हमारी कोशिश है कि उन्हें सरकार के सभी कामों व योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया जाए। माइनाॅरिटी कमीशन को जमीनी स्तर पर लोगों से जोड़ने का काम मैं करना चाहता हूं। उक्त बातें नवोदय टाइम्स से विशेष बातचीत के दौरान दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के नवनियुक्त चेयरमैन जाकिर खान ने कहीं।
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जमीनी स्तर पर काम करेगा आयोग जाकिर खान ने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग में कई ऐसे काम हैं खासकर सरकारी स्कीम जो केजरीवाल सरकार ने शुरू की हैं जैसे माइनाॅरिटी के छात्रों के लिए आर्थिक मदद, स्कूलों में वजीफा, महिलाओं को सशक्त करना, माइनाॅरिटी के लोगों को व्यवसाय शुरू करने में मदद करना व कानूनी परेशानियों को हल करना इत्यादि के बारे में उन्हें समझाना व उचित सलाह देना हमारा काम है। हम एनजीओ व सेमीनार कर भी लोगों को इस बारे में बताएंगे ताकि कोई वंचित ना रहे। कमीशन का काम लोगों की शिकायतों को दूर करना है, उन्हें न्याय दिलाना है। जैसे माइनाॅरिटी के लोगों को अभी तक नहीं पता कि फीस माफी के साथ ही 50 हजार तक का ऋण बिना गारंटी के उन्हें मिल सकता है। यही बातें लोगों तक पहुंचानी है।
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स्कूलों में उर्दू व पंजाबी भाषा के टीचर्स पर है सरकार गंभीर जाकिर खान ने कहा कि उर्दू व पंजाबी भाषा को लेकर केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) काफी गंभीर है और उन्हें स्कूलों में लागू करवाना चाहती है। उर्दू हिंदुस्तान की आत्मा है धरोहर है और उर्दू अकादकमी इसे बचाने के लिए मुशायरे व अन्य कार्यक्रम करती है। इसी तरह कमीशन भी उर्दू व पंजाबी भाषा को बचाने व स्कूलों में लागू करवाने पर पूरा ध्यान रखे है।
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पीस कमेटी हिंदू-जमुनी तहजीब का दर्पण खान ने कहा कि कमीशन द्वारा बनाई गई पीस कमेटी हिंदू-जमुनी तहजीब का दर्पण है क्योंकि इसमें सिर्फ मुस्लिम, पंजाबी, जैन, पारसी व ईसाई ही नहीं बल्कि बहुसंख्यक कहे जाने वाले हिंदू भाईयों को भी शामिल किया गया है। ताकि किसी भी प्रकार के हुडदंग व वैमनस्य से समाज को बचाया जा सके। आपसी सौहार्द बनाए रखना व मिलकर तरक्की करना ही हमारा लक्ष्य है।
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दंगे में मजहब नहीं शैतानी तत्च करते हैं काम: जाकिर खान पूछे जाने कि क्या वो पिछले आयोग द्वारा दिल्ली दंगों पर बनाई गई रिपोर्ट से सहमत हैं? तो इस पर खान ने कहा कि दंगे कोई भी मजहब नहीं करवाता बल्कि ये काम शैतानी तत्वों द्वारा किया जाता है और दिल्ली दंगों में बाहरियों ने घर जलाएं हैं। दिल्ली का सच यह है कि दंगों के बाद हिंदूओं ने मुस्लिमों को खाना खिलाया तो मुस्लिम पड़ोसियों ने भी हिंदूओं को पानी पिलाया। कोशिश तो की गई लेकिन दिल्लीवालों ने पूरी एकता का परिचय दिया है। सिर्फ गुजारिश है कि पुलिस अपनी रिपोर्ट पारदर्शी रखे ना कि दबाव में। बाकी न्याय दिलाने का काम न्यायालय का है और जनता व कमीशन को पुलिस व न्यायपालिका पर पूरा विश्वास करता है।
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