नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। बेशक पिछले कुछ सालों में महिलाओं (women) ने काफी प्रोग्रेस की है तथा उनकी प्रोफेशनल पोजीशन में भी काफी बदलाव आया है, लेकिन इसके साथ ही उनकी टेंशन भी बड़ी है। यही कारण है की पोजीशन और कॉन्फिडेंस के बावजूद भी 40 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते महिलाओं में डिप्रेशन (depression) भी पहले के मुकाबले में डबल होने लगा है।
घर और प्रोफेशन दोनों क्षेत्रों में का कब बोझ होने से पुरुषों के मुकाबले में महिलाएं डिप्रेशन का शिकार ज्यादा होती हैं। ऐसा नहीं है कि डिप्रेशन मैरिड वुमन में ही ज्यादा देखने को मिलता है, बल्कि सिंगल वुमन पर भी परिस्थितियां समान रूप से असर डालती है।
इस तरह समझें डिप्रेशन को, पढ़ें इससे बाहर निकलने के तरीके
मैरिड वुमन हर जगह खुद को परफेक्ट साबित करने के चक्कर में दूसरों से नहीं बल्कि महिलाओं ने खुद से भी काफी उम्मीदें लगा रखी हैं जिनके पूरा ना होने से ही डिप्रेशन होता है। इन दिनों प्रत्येक महिला मल्टीटास्कर बनकर हर जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाना चाहती हैं, जिससे उनके पास खुद के लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं बचता। इसके अलावा महिलाएं अक्सर हार्मोनल इंबैलेंस का शिकार भी होती हैं, जिस कारण उन्हें मूड स्विंग की भी मुश्किल रहती है।
यदि आप अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो आजकल कि वे शादीशुदा महिलाएं, जिनके बच्चे भी हैं, हमें सबसे ज्यादा स्ट्रॅस्ड और मुश्किल में नजर आती हैं। वास्तव में उन्हें ऑफिस के वर्क प्रेशर, इन लॉज की डिमांड्स, सहयोग न करने वाला हस्बैंड, फाइनांशियल, डिफिकल्टीज और बच्चों की हेल्थ एजुकेशन जैसे तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं लिव इन रिलेशनशिप से हुए ब्रेकअप या तलाक के बाद भी महिलाओं में डिप्रेशन होने का चांस सबसे ज्यादा होता है।
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सिंगल वुमन इन दिनों मैरिड की अपेक्षा सिंगल रहने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा बढ़ रही है। कभी करियर तो कभी हालात के चलते अधिकांश युवतियां शादीशुदा लाइफ कर रुख नहीं कर पाती हैं। ऐसे में स्मोकिंग और ड्रिंक करने वाली इस मॉडर्न जेनरेशन की लाइफ में रिलेशनशिप से जुड़ी परेशानियां काफी हद तक देखने को मिलती हैं।
कुछ साल पहले तक महिलाओं में एंग्जाइटी, ईटिंग डिसऑर्डर और इनसोमनिया जैसी समस्याएं ज्यादा हुआ करती थी। हालांकि आज महिलाएं डिप्रेशन और स्ट्रेस को लेकर पहले से ज्यादा अवेयर हुई हैं।
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इस तरह रखें बैलेंस -इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आज के लाइफ स्टाइल में प्रॉब्लम स्टोर रहेंगी ही, परंतु तनाव से बचने के लिए महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले तो लाइफ में अपना उद्देश्य स्पष्ट करें, परंतु खुद पर उम्मीदों का बोझ ना लादें और इमोशनल क्राइसिस में प्रोफेशनल्स की मदद लें।
-यदि आप भी ऐसी ही किसी स्थिति से गुजर रही हैं तो सबसे पहले अपने डिप्रेशन को दूर करने के कारणों को तलाश करें ताकि गोल्डन एज में आप पर बुढ़ापा हावी ना हो सके। तथा स्वयं को चिरयुवा बनाए रख सकें।
-खुद को डिप्रेशन से दूर रखने और हमेशा युवा दिखने के लिए कोई ना कोई हॉबी अवश्य अपनाएं। आप चाहे तो डांस क्लास ज्वाइन करें, पेंटिंग करें, सिंगिंग करें, नई जगहों पर जाकर कुदरती नजारों का आनंद लें या फिर घर पर रहते हुए कुकिंग को एंजॉय करें। यह सब चीजें ना केवल आपको डिप्रेशन से दूर रखेंगी बल्कि आपकी गोल्डन एज पर ओल्ड लुक को हावी होने से भी रोकेंगी।
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