नई दिल्ली/टीम डिजिटल। चकाचौंध कर देने वाली आतिशबाजियों से लेकर टिमटिमाती हुई रोशनी की लड़ियां और स्वादिष्ट मिठाइयां, भारत के सबसे बड़े त्योहार की घड़ियां पास आ चुकी हैं। दिवाली को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। 14 सालों के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में पूरे भारतभर में यह त्योहार मनाया जाता है।
भारत में विविध संस्कृतियों के लोग रहते हैं और इसमें दिवाली को अलग-अलग तरीकों से मनाने के तरीके भी शामिल हैं। यह त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में बेहद उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। भारत की 5 ऐसी जगहों के बारे में बताया गया है, जहां आप दिवाली मना सकते हैं, यदि आप भी उस भव्यता के दर्शन करना चाहते हैं।
वाराणसी अक्सर काशी या बनारस के नाम से पुकारे जाने वाले वाराणसी में गंगा घाट लाइट और दीयों से सज जाते हैं। सैलानियों के लिये यह नजारा देखने वाला होता है। दशाश्वमेध घाट पर पुजारी गंगा आरती करते हैं, वहीं पीछे ढोल और शंख की ध्वनि आती रहती है। लेकिन उत्सव का अंत यहीं नहीं होता। दिवाली के 15 दिनों के बाद, शहर में देव दीपावली मनाई जाती है जोकि दानव त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत की खुशी में मनाया जाता है।
कोलकाता भले ही कोलकाता की दुर्गा पूजा बहुत मशहूर है, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि सिटी ऑफ जॉय में दिवाली का उत्सव भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन, ज्यादातार भारतीय घरों में लक्ष्मी माता की पूजा होती है, वहीं कोलकाता में काली मां को पूजा जाता है।
इस शानदार कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिये, आप कालीघाट मंदिर या दक्षिण्श्वेर मंदिर जा सकते हैं, जोकि पवित्र मंदिर है। आप चहल-पहल वाले इन पंडालों में जा सकते हैं और पूजा की भव्य तैयारियों और अनोखी सजावट पर मोहित हो सकते हैं। खूबसूरत दीयों, मोमबत्तियों और लैम्पों से पूरा शहर जगमगा उठता है, जहां हर गली में आतिशबाजियों का बेहतरीन नजरा देखने को मिलता है।
अमृतसर स्वर्ण मंदिर, सिक्खों के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है, जोकि अमृतसर में दिवाली उत्सव का सबसे मुख्य आकर्षण है। सिख लोग 1619 को हिरासत से रिहा होकर आए, छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद के अमृतसर लौटने का जश्न मनाते हैं, जबकि हिंदू और बाकी लोग दिवाली मनाते हैं। इसलिए, इसे बंदी छोड़ दिवस या कैदियों की आजादी के दिवस के रूप में मनाया जाता है। पूरा गुरुद्वारा परिसर रोशनी से सजा होता है और भक्तों की भक्ति और अरदास से चहल-पहल बनी रहती है। पूरे शहर में विशेष कीर्तन और प्रार्थना सभाओं का आयोजन होता है।
गोवा हैरानी की बात यह है कि गोवा में नरक चतुर्दशी के दिन दिवाली मनाई जाती है। यह रावण, उनके भाई कुंभकरण और उनके पुत्र मेघनाथ के पुतले जलाने के संस्कार के समान है। गोवा में लोग नरक चतुर्दशी मनाते हैं, जिसे छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि उस दिन भगवान कृष्ण ने गांवों और आस-पास के लोगों को त्रस्त करने वाले, राक्षस नरकासुर का वध किया था।
जयपुर और उदयपुर धनतेरस से शुरू होने वाला यह शानदार उत्सव होता है जो आपको एक बार जरूर देखना चाहिए। शहर की जगमगाती रोशनी और आतिशबाजी का नजारा देखने लायक होता है, जिसे नाहरगढ़ के किले और अन्य चर्चित जगहों से देखा जा सकता है। आप उदयपुर की खूबसूरत झीलों पर भी मोहित हो जाएंगे, जोकि आतिशबाजियों और किले की रोशनी के प्रतिबिंब से चमक उठता है। ये दोनों जगहें सैलानियों को दिवाली उत्सव का शानदार नजारा दिखाने में कभी पीछे नहीं रहतीं।
और अंत में भारत के लिये खुशियों भरी दिवाली के त्योहार को चंद शब्दों में समेटा नहीं जा सकता। दिवाली के दौरान ऊपर बताए गए किसी भी स्थान पर ट्रेन या परिवहन के किसी भी साधन से अपनों के साथ आएं। साथ ही खूबसूरत सेलिब्रेशन की बेहतरीन यादें संजोएं, जो इतने सालों में आपने देखी नहीं होगी।
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