Sunday, Dec 10, 2023
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बचपन का मोटापा बढ़े होकर ऐसे बनता है घातक

  • Updated on 9/3/2018

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। एक अध्ययन में कहा गया है कि बच्चों के जीवन के पहले तीन वर्षों में होने वाला उनका विकास उनके भविष्य पर असर करता है। ये विकास उनके 10 साल के होने पर उनमें होने वाले अस्थमा के खतरे को प्रभावित करता है। हाल के अध्ययनों के अनुसार, जीवन के पहले वर्षों में अत्यधिक वजन बढ़ने से बच्चों में अस्थमा का खतरा भी बढ़ जाता है।

नीदरलैंड के रॉटरडैम में इरास्मस विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए नए अध्ययन से पता चला है कि ज्यादा वजन वाले बच्चों में 10 साल की उम्र तक फेफड़ों का काम करना कम हो जाता है। 

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अध्ययन में यह भी पाया गया कि बच्चे के शरीर पर जितनी देरी से वजन बढ़ता है उतना ही उनके फेफड़े अच्छे से काम करते हैं। लड़कों के मामले में अस्थमा का खतरा कम हो जाता है।

विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने बताया कि बच्चे के शुरुआती सालों में हो रहा विकास फेफड़ों के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि लंबाई और वजन बढ़ने और अस्थमा के बढ़ते खतरे के बीच कोई संबंध नहीं देखा गया था। लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि फेफड़ों का असंतुलन विकास सांस की बीमारी का कारण हो सकता है। 

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अध्ययन के लिए नीदरलैंड में शोधकर्ताओं की टीम ने 4,435 बच्चों को उनके जन्म से 10 साल की उम्र तक ट्रैक किया। प्रतिभागियों के वजन और लंबाई को उनके पहले तीन वर्षों के दौरान कई बार मापा गया था। टीम ने बचपन के विकास के शुरुआती पैटर्न की जांच बच्चे के जीवन के पहले तीन वर्षों के दौरान बार-बार वजन और लंबाई का माप लेते हुए की। 

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हाल ही में दिल्ली में भी एक अध्ययन हुआ था जिससे खुलासा हुआ था कि दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 30 प्रतिशत बच्चे ज्यादा वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं। इसके अलावा 10 प्रतिशत बच्चे डायबिटीज से पीड़ित हैं। इस तरह की बीमारी से पीड़ित बच्चे 10 से 18 साल की उम्र के थे। इसी के बाद विशेषज्ञों ने मां-बाप को बच्चों मे बढ़ते खतरों को लेकर सचेत हो जाने को भी कहा।

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