नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (DDCA) के दिवंगत अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा लगाए जाने से खफा महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने क्रिकेट संघ से अपना नाम दर्शक दीर्घा से हटाने के लिए कहा है। फिरोजशाह कोटला मैदान पर अरुण जेटली की प्रतिमा लगाई जानी है। उनके नाम पर स्टैंड 2017 में बनाई गई थी। उन्होंने इसके विरोध में डीडीसीए से भी इस्तीफा भी दे दिया है।
बेदी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि मेरे जमीर ने जो कहा, 'मैंने कर दिया। एक क्रिकेट ग्राउंड में एक नेता का बुत बनाना शोभा नहीं देता है। यह बात मेरे जेहन में उतर नहीं रही है। मैंने उन्हें बुत लगाने से रोक नहीं रहा हूं। मेरा कहना है कि मेरा नाम बस वहां से हटा दीजिए।'
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74 साल के बेदी ने दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ पर बरसते हुए भाई भतीजावाद और ‘क्रिकेटरों से ऊपर प्रशासकों को रखने’ का आरोप लगाते हुए संघ की सदस्यता भी छोड़ दी है। इस बारे में उन्होंने डीडीसीए के मौजूदा अध्यक्ष और जेटली के बेटे रोहन जेटली को पत्र भी लिखते हुए कहा, ‘मैं काफी सहनशील इंसान हूं, लेकिन अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा है। डीडीसीए ने मेरे सब्र की परीक्षा ली है और मुझे यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया।’
पत्र में लिखते हुए बेदी ने कहा, ‘तो अध्यक्ष महोदय मैं आपसे मेरा नाम उस स्टैंड से हटाने का अनुरोध कर रहा हूं, जो मेरे नाम पर है और यह तुरंत प्रभाव से किया जाए। मैं डीडीसीए की सदस्यता भी छोड़ रहा हूं।’
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बता दें, जेटली 1999 से 2013 के बीच 14 साल तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे थे। उनकी याद में क्रिकेट संघ कोटला पर छह फुट की प्रतिमा लगाने की तैयारी कर ली है। 2017 में डीडीसीए ने मोहिंदर अमरनाथ और बेदी के नाम पर स्टैंड्स का नामकरण किया था।
बेदी ने कहा, ‘मैंने काफी सोच समझकर यह फैसला लिया है। मैं सम्मान का अपमान करने वालों में से नहीं हूं। लेकिन हमें पता है कि सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी आती है। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए सम्मान वापस कर रहा हूं कि जिन मूल्यों के साथ मैंने क्रिकेट खेला है, वे मेरे संन्यास लेने के चार दशक बाद भी जस के तस हैं।’
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उन्होंने कहा कि वह कभी जेटली की कार्यशैली के मुरीद नहीं रहे और हमेशा उन फैसलों का विरोध किया, जो उन्हें सही नहीं लगे। उन्होंने कहा,‘ डीडीसीए का कामकाज चलाने के लिए जिस तरह से वह लोगों को चुनते थे, उसे लेकर मेरा ऐतराज सभी को पता है। मैं एक बार उनके घर पर हुई एक बैठक से बाहर निकल आया था क्योंकि वह बदतमीजी कर रहे एक शख्स को बाहर का रास्ता नहीं दिखा सके थे।’
बेदी ने कहा, ‘मैं इस मामले में बहुत सख्त हूं। शायद काफी पुराने ख्याल का। लेकिन मैं भारतीय क्रिकेटर होने पर इतना फख्र रखता हूं कि चापलूसों से भरे अरुण जेटली के दरबार में हाजिरी लगाना जरूरी नहीं समझता था।’
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