नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों में बीते तीन दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस को हिंदी की अहमियत समझ आने लगी है। हिंदी पट्टी के लोगों से कनेक्ट (जुडऩे) के लिए पार्टी ने अपने दैनिक कामकाज और बातचीत में हिंदी को तरजीह देने का फैसला लिया है। इसकी शुरुआत उदयपुर नव संकल्प चिंतन शिविर से की गई, जहां हिंदी में सोचा गया, चर्चा की गई और प्रस्ताव पारित किया गया। सूत्रों के मुताबिक चिंतन शिविर में पूरे समय हिंदी पट्टी को ध्यान में रख कर कांग्रेस ने मुद्दों पर चर्चा की। सूत्र बता रहे हैं कि रेजोल्यूशन भी हिंदी में ही रखे गए और पारित किए गए। नेताओं ने इन रिजोल्यूशन पर चर्चा भी ज्यादातर हिंदी में ही की। गैर हिंदी भाषियों के लिए बीच-बीच में अंग्रेजी का इस्तेमाल हुआ जरूर, मगर काम भर के लिए ही। शिविर के अंतिम दिन उदयपुर ऐलान भी हिंदी में ही पढ़ा गया, जिसे पार्टी महासचिव अजय माकन ने पढ़ा। सूत्र बता रहे हैं कि उदयपुर ऐलान की अंग्रेजी प्रति नेताओं को दूसरे दिन बांटी गई। यह सारी कवायद उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली जैसे हिंदी पट्टी के मतदाताओं को ध्यान में रख कर की गई। गुजरात और महाराष्ट्र में भी हिंदी ठीकठाक बोली और समझी जाती है। इन हिंदी बोलने-समझने वाले राज्यों में लोकसभा की ढाई सौ से ज्यादा सीटें हैं। भाजपा पिछले आठ साल से इन्हीं सीटों पर अपना आधिपत्य बना कर केंद्र की सत्ता में है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा का मुकाबला करना है तो हिंदी पट्टी की सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी और उन्हीं की भाषा-बोली में अपनी बात कहनी होगी। चिंतन शिविर में पार्टी ने अपने नेताओं से जनता से सीधे जुड़ने और उनके बीच जाने को कहा है। इसके लिए ही 3500 किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 2 अक्तूबर से कन्याकुमारी से कश्मीर तक शुरू करने जा रही है, जो करीब 12 राज्यों से होकर गुजरेगी। सूत्रों की मानें तो इन राज्यों में ज्यादातर हिंदी पट्टी के होंगे। यात्रा पूरी होने में पांच से साढ़े पांच महीने लगेगा। कांग्रेस की कार्यप्रणाली में लंबे वक्त से अंग्रेजी का प्रभाव है। यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी प्रवक्ता तक अंग्रेजी बोलते रहे, जिसका परिणाम यह हुआ कि उस सरकार की अच्छी नीतियों और सफल योजनाओं को भी हिंदी पट्टी का आम नागरिक समझ नहीं पाया। पार्टी के तमाम प्रवक्ता अभी भी मीडिया से अंग्रेजी में ही बात करना पसंद करते हैं। हालांकि आधिकारिक ब्रीफिंग में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अपनी बात रखने का निर्देश दिया गया है। पार्टी के रणनीतिकार मानने लगे हैं कि हिंदी पट्टी में कांग्रेस के कमजोर होने के तमाम कारणों में से एक अंग्रेजी भी रही। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के सारे नेता और प्रवक्ता हिंदी में पहले बात करते हैं इसके बाद जरूरत पडऩे पर अंग्रेजी का सहारा लेते हैं। चिंतन शिविर में जाने से रह गए नेताओं के साथ सोनिया करेंगी बातचीत कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में शामिल होने से रह गए पार्टी नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अलग से मुलाकात करेंगी और शिविर में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगी। इन छूटे नेताओं में प्रदेश इकाइयों के कई वरिष्ठ पदाधिकारी, राष्ट्रीय प्रवक्ता और मंत्रियों समेत करीब 120 नेता हैं। सूत्रों के मुताबिक शिविर में नहीं बुलाए जाने से इन नेताओं में नाराजगी है। उदयपुर चिंतन शिविर में 430 लोगों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें से शामिल 400 लोग हुए। प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के करीब 70 कार्यकारी अध्यक्ष, 15-16 राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा कुछ राज्यों में पार्टी से संबंधित मंत्री इसमें शामिल नहीं हो सके थे। अगले कुछ हफ्तों में कांग्रेस नेतृत्व इन छूटे हुए नेताओं के साथ बैठक करेगा।
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