Monday, Oct 02, 2023
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UP 2017 : अलसाई कांग्रेस के सामने मुंह बाए खड़ी हैं कई चुनौतियां

  • Updated on 5/11/2016

नई दिल्ली, सुमन : बिहार और दिल्ली में करारी हार के बाद अब कांग्रेस की उम्मीदें यूपी पर टिकी हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर पार्टी को संजीवनी देने में जुटे हुए हैं। पिछले दो-तीन महीने से वे लखनऊ में गोमती नदी के किनारे स्थित गांधी भवन में कई बैठकें कर चुके हैं। पिछले दिनों भी उन्होंने कांग्रेस के दिग्गजों के साथ मिलकर  कई रणनीतियां बनाई है।

ये बात तो तय है कि भले ही किशोर यूपी की जमीनी हकीकत और यहां की राजनीति से वाकिफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें नब्ज पकड़ना आता है। इसलिए उन्होंने पहले कांग्रेस से दूर हुए लोगों की नब्ज पकड़ी और स्थानीय लोगों से सवाल जवाब कर उनकी समस्याएं पूछी। लेकिन पीके के सामने कई सारी चुनौतियां भी हैं। यूपी में कांग्रेस को वापस खड़ा करना इतना भी आसान नहीं होगा। 

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी को और बिहार में नीतीश कुमार को जीत दिलाने वाले प्रशांत किशोर के सामने मुंह बाए कई सारी चुनौतियां हैं। फरवरी में प्रशांत ने चुनाव की बागडोर संभाली थी और उसके बाद से नई नई रणनीतियां बनाने में लगे हैं।

किशोर ने ये तो साफ कर दिया कि साल 2012 की गलतियां इस बार कांग्रेस नहीं दोहराएगी। एक नये रंग और कलेवर के साथ वापसी करेगी। पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की लोकप्रियता में कमी आई है। साथ ही सीटें भी घटती चली गई हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि लोगों में कांग्रेस के प्रति खोए विश्वास को वापस पाया जा सके। 

कांग्रेस के रास्ते की कुछ चुनौतियां 

कांग्रेस बस रायबरेली, अमेठी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी तक ही सीमित रहती है। उन्हें अपना दायरा यूपी में बढ़ाना होगा।

संगठन में काफी कमजोरी है, बड़े स्तर पर काम होता है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम का अभाव है। 

यूपी में कांग्रेस के कुछ चेहरे हैं जो बहुत पुराने हो गए हैं, उनके पास अनुभव है लेकिन गर्म जोश और जज्बे का अभाव है। 

कांग्रेस यूपी के मुसलमानों का दिल नहीं जीत पाती। उनके मिजाज को नहीं समझ पाती।

कांग्रेस में युवा कार्यकर्ताओं की कमी है, यूपी में कांग्रेस को संजीवनी देने में युवा कार्यकर्ताओं की जरूरत है। 

साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है। रणनीति बनाने के लिए एक मुद्दे की जरूरत है। 

 

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