नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। विभिन्न राज्य इकाइयों में चल रहे खींचतान, झगड़ों और शिकवा-शिकायतों के बीच कांग्रेस ने वीरवार को अपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति का पुनर्गठन किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. के. एंटनी को समिति का अध्यक्ष बनाए रखा गया है, लेकिन सुशील कुमार शिंदे की छुट्टी कर दी गई है।
भारतीय जमीन पर ड्रैगन की कॉलोनी, डोकलाम के निकट भूटान में भी बसाए 4 गांव पार्टी की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस पांच सदस्यीय समिति की कमान फिर से पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को ही सौंपी गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी भी सदस्य के रूप में शामिल की गई हैं। कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर इस समिति के सदस्य सचिव बनाए गए हैं। इस समिति में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जी परमेश्वर को भी बतौर सदस्य शामिल किया गया है। कांग्रेस की इससे पहले की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति में एंटनी के साथ पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार ङ्क्षशदे भी शामिल थे जिन्हें इस बार समिति से बाहर कर दिया गया है।
CBI-ED निदेशकों के कार्य विस्तार वाले अध्यादेश के खिलाफ सुरजेवाला पहुंचे सुप्रीमकोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस समिति का पुनर्गठन ऐसे वक्त में किया है, जब कांग्रेस के विभिन्न राज्य इकाइयों में आपसी झगड़े और खींचतान चरम पर है। प्रदेश अध्यक्ष से नाराजगी और हाईकमान द्वारा उनकी बात नहीं सुनने से नाराज जम्मू-कश्मीर के आधे दर्जन वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार को ही अपना इस्तीफा आलाकमान को भेजा है। वहीं, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप और मुंबई युवक कांग्रेस अध्यक्ष जीशान सिद्दीकी के बीच भी विवाद बढ़ कर आलाकमान तक पहुंच चुका है। इसके पहले पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और गोवा में भी कांग्रेसियों के आपसी झगड़े सामने आ चुके हैं। इसी आपसी विवाद और खींचतान के चलते कांग्रेस मध्य प्रदेश में दो साल पहले अपनी सरकार गवां चुकी है।
UP चुनाव को लेकर दिल्ली में हाईलेवल बैठक, प्रचार की रणनीति पर मंथन हाल के दिनों में कांग्रेस छोडऩे वाले ज्यादातर नेताओं की शिकायत है कि आलाकमान ने उनकी बात सुनी नहीं। वरिष्ठ नेताओं ने अनदेखी की और जब पार्टी फोरम पर उन्होंने अपनी बात कहनी भी चाही तो अनसुना कर दिया गया। कांग्रेस के कथित असंतुष्ट समूह जी-23 के भी ज्यादातर नेताओं की शिकायत है कि पार्टी में संवाद की कमी है। अपनी बात कोई कहे भी तो कहां और किससे? ऐसे नेताओं की सुनवाई के लिए अब यह समिति हर वक्त सक्रिय रहेगी। लेकिन इस अनुशासन समिति के पुनर्गठन का एक मकसद यह भी बताया जा रहा है कि हाल के दिनों में पार्टी के कुछ नेताओं के बिगड़े बोल से एक बार फिर पार्टी की छीछालेदर हो रही है। अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है। कांग्रेस को कुछ राज्यों में सत्ता में वापसी की उम्मीद दिख रही है, लेकिन ‘बिगडै़ल’ नेता विरोधी दल को फायदा उठाने का मौका दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि कमेटी ऐसे नेताओं पर लगाम लगाने का काम करेगी।
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