नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारत सरकार के दो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को मंजूरी देने के बाद, राज्य और केंद्र सरकार पूरे देश में ड्राई रन कर रही हैं। केंद्र सरकार के साथ सभी राज्य सरकारों ने दावा किया है कि उनके पास कोरोना वैक्सीन को लगाने के लिए सभी तैयारियां पूरी हैं। ऐसे में उत्तरप्रदेश के वाराणसी से खबर आई है कि यहां एक सेंटर पर कर्मचारी साईकिल से कोरोना वैक्सीन लेकर पहुंच गया। जिसने प्रशासन के दावे की पोल खोल दी।
बता दें यह घटना वाराणसी के चौकाघाट कोरोना अस्पताल की है। यहां के महिला अस्पताल में स्टॉफ साईकिल से ही कोरोना वैक्सीन लेकर पहुंच गया। जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने जब इस मामलें में बात की गई तो सीएमओ डॉ वीबी सिंह (Dr VB singh) का कहना था कि पांच केंद्रों पर वैक्सीन वैन से पहुंचाई गई और एक जगह वैक्सीन साईकिल से पहुंचाई गई।
ममता सरकार को एक और बड़ा झटका, पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा नहीं पहुंचे वॉलिंटियर्स वह कहते हैं कि ड्राई रन के दौरान किसी को कोई वैक्सीन नहीं लगाई गई सब सभी को वैक्सीन लगाने की तैयारियां की जा रही हैं। यह केवल मॉक ड्रिल है। बता दें इसके अलावा कोई भी वॉलंटियर्स भी वैक्सीन लगवाने के लिए केंद्र पर नहीं पहुंचा था। जबकि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंक्षी योगी आदित्यनाथ ने खुद निर्देश दिया था कि राज्य में अच्छी तरह से ड्राई रन किया जाए।
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योगी आदित्यनाथ ने दिए थे निर्देश गौरतलब है कि इस ड्राई रन को देखने के लिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य खुद गए थे। वह लखनऊ के लोहिया अस्पताल में खुद हिस्सा लेने गए थे। जिसके बाद भी प्रदेश में कई जगह अव्यवस्था देखने को मिली है। बता दें वैक्सीन सेंटर पर 25 लोगों का टीका लगाया जाना था मगर वहां केवल 2 लोग ही टीका लगवाने ही पहुंचे थे।
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आपातकाल में मंजूरी दी इससे पहले देश के औषधि नियामक ने रविवार (Sunday) को ‘कोविशील्ड’ के साथ ही स्वदेश विकसित ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी। हालांकि, ‘कोवैक्सीन’ (Covaxin) की प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं हैं, जिससे बहस छिड़ गई है। इस पर जमकर राजनीति भी हो रही है। मगर वैक्सीन का एक विज्ञान है। उससे जुड़ी कुछ चिंताएं हो सकती हैं पर इन पर हो रही राजनीति सिर्फ भ्रम फैला रही है।
नहीं है विश्वास प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने भी कहा है कि उन्हें विश्वास नहीं है कि अंतत: ‘कोवैक्सीन’ सुरक्षित साबित होगी और 70 प्रतिशत से अधिक प्रभावशीलता दिखाएगा। मंजूरी देने के लिए जो रवैया अपनाया गया है, उससे कुछ चिंताएं पैदा होती हैं। इस बहस पर सोमवार को अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स) निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोवैक्सीन को केवल आपात स्थितियों में ‘बैकअप’ के रूप में मंजूरी दी गई है। भारत बायोटेक का यह टीका एक बैकअप अधिक है।
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