नई दिल्ली। अनामिका सिंह। गणेश चतुर्थी को लेकर मूर्तिकार काफी खुश थे, उन्हें लग रहा था कि जब अन्य त्यौहार मनाए जा रहे हैं तो शायद गणेश उपासना भी धूमधाम से की जाए। लेकिन कोरोना के चलते डीडीएमए द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस ने उनकी मेहनत पर पूरी तरह पानी फेर दिया है। उनका कहना है कि गणेश चतुर्थी को लेकर कई महीने पहले से शुरू की गई तैयारियां व उनकी मेहनत पर पूरी तरह से पानी फिर गया है। ऐसे में मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट भी उत्पन्न हो गया है। जब औलिया ने कहा ‘दिल्ली दूर है’ और सुल्तान नहीं बसा पाए दिल्ली
मूर्तिकारों ने कहा, नहीं बिकेंगी बडी मूर्तियां ककरौला ड्रेन के पास मूर्तियां बनाने वाले राकेश प्रजापति ने बताया कि उन्होंने व उनके रिश्तेदारों ने मिलकर करीब 200 से 250 मूर्तियां तैयार की हैं। जिनमें करीब 50 मूर्तियां काफी बडे आकार की हैं जबकि बाकी मूर्तियां सामान्य व छोटे आकार की हैं। इन मूर्तियों के निर्माण में आने वाले खर्च को उन्होंने अपनी जेब से लगाया था, जिसकी भरपाई होती अब नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि छोटी मूर्तियां तो बिक जाएंगी लेकिन बडी मूर्तियां जिन्हें बनाने में लागत भी अधिक लगी है उनका क्या करेंगे यही सोचकर दिमाग काम नहीं कर रहा है। मालूम हो कि 10 सितंबर से गणेश चतुर्थी प्रारंभ है और उससे दो दिन पहले डीडीएमए के आदेश से मूर्तिकारों को गहरा आघात लगा है। हरतालिका तीज पर महिलाओं ने की जमकर खरीदारी
डीडीएमए के आदेश का करते हैं स्वागत: महेंद्र लड्डा लक्ष्मी नगर स्थित श्रीगणेश सेवा मंडल के संस्थापक अध्यक्ष महेंद्र लड्डा ने कहा कि डीडीएमए व दिल्ली सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का वो स्वागत करते हैं। यह एक बडा व पब्लिक इवेंट है ऐसे में कोरोना से बचाव रखना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमने तय किया है कि इसबार आॅनलाइन यानि लाइव दर्शन फेसबुक पेज के माध्यम से करवाएंगे। गणपति बप्पा की मूर्ति को एक निजी परिसर में रखा जाएगा जिसका प्रसारण किया जाएगा। मालूम हो कि यह मंडल द्वारा किया जाने वाला ‘दिल्ली का महाराजा’ का लगातार 20वां वर्ष है। ट्री अथॉरिटी ने की सिर्फ 3 बैठक और 8 मुलाकात, करनी थी 104
कब मनाई जाती है गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेशोत्सव की शुरूआत गणेश प्रतिमा स्थापित कर की जाती है जोकि लगातार दस दिनों तक यानि अनंत चतुदर्शी तक विराजमान रहते हैं। गणेश जी की स्थापना व विदाई ढोल-नगाडों व नृत्य के साथ ही जाती है। इसे डंडा चैथ भी कहते हैं क्योंकि इसी दिन से विद्या अध्ययन की शुरूआत भी होती है। सडक बनी नाला, नहीं कोई देखने वाला
छोटी इको फ्रेंडली मूर्तियों की ओर है लोगों का झुकाव राजधानी के बाजारों में गणेश चतुर्थी को लेकर गणेश प्रतिमाओं का बाजार गर्म है लेकिन लोग इको फ्रेंडली मूर्तियों की ज्यादा डिमांड कर रहे हैं। कुछ सालों से नदी प्रदूषित ना हो इसे लेकर लोग काफी जागरूक हुए हैं। जिसका असर बाजारों में भी देखने को मिल रहा है। बडी मूर्तियों की बजाय छोटी-छोटी इको फ्रेंडली मूर्तियां बाजारों में ज्यादा छाई हुई हैं।
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