नई दिल्ली, टीम डिजिटल। आजादी की लड़ाई में सावरकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सावरकर महात्मा गांधी के बड़े आलोचक थे जो गांधीजी को कायर मानते थे, क्योंकि उन्होंने भगत सिंह की फांसी का विरोध नही किया। खिलाफत आन्दोलन के दौरान गांधी द्वारा मुस्लिमो को तवज्जों देने की भी उन्होंने आलोचना की | विभाजन के दौरान सावरकर ने गांधीजी का विद्रोह किया, क्योंकि वह पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे |
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगुर गांव में एक मराठी परिवार में हुआ था | उनके पिता का नाम दामोदर सावरकर और माता का नाम राधाबाई सावरकर था| विनायक दामोदर सावरकर के दो भाई गणेश और नारायण थे और एक बहन जिसका नाम मैना था | बचपन से ही उनके मन में कट्टर हिंदुत्व की भावना थी |
अंगुरलता का मजाक असम की जनता का अपमान, पढ़िए उनसे जुड़ी ये खास बातें
माता पिता की मौत के बाद बड़े भाई गणेश ने परिवार की जिम्मेदारी सम्भाली | विनायक ने अपने साथियो के साथ मिलकर एक युवा दल “मित्र मेला” बनाया, जिसमे इस दल के लोग क्रांति और देशप्रेम की भावना जगाते थे |1901 में विनायक सावरकर का विवाह यमुनाबाई से हो गया, जिसके बाद उनके ससुर रामचन्द्र त्रिंबक चिपलूनकर ने उनकी आगे पढ़ने में मदद की। फिर उन्होंने पुणे के फर्गुशन कॉलेज में दाखिला ले लिया था |
युवावस्था में उनके आदर्श बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चन्द्र पाल और लाला लाजपत राय (लाल-पाल-बाल ) जैसे नेता रहे। लाल-बाल-पाल के नाम से मशहूर ये नेता उस समय अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह करने के लिए स्वदेशी आन्दोलन की की तैयारियों में लगे थे। 1905 में जब स्वदेशी आन्दोलन शुरू हुआ तो विनायक सावरकर ने भी विदेशी भोजन और कपड़ो की होली जलाई थी | बाद में सावरकर ने एक राजनीतिक दल “अभिनव भारत ” का निर्माण किया। उनके विद्रोही क्रियाकलापों के कारण उनको कॉलेज से निकाल दिया गया।
UP चुनाव : तो क्या अब चौधरी चरण सिंह और लोहिया के सिद्धांतों पर चलेंगे अखिलेश ?
बीए करने के बाद राष्ट्रवादी कार्यकर्ता श्यामजी कृष्ण वर्मा ने लॉ करने के लिए इंग्लैंड जाने में उनकी सहायता की| उधर लाल-पाल-बाल ने मिलकर कांग्रेस से अलग होकर गरम दल का निर्माण किया। गरम दल के नेताओ का ये मानना था कि अंग्रेजो के साथ नरमी बरतने से आजादी नही मिलने वाली है और इसके लिए हिंसक विद्रोह करने की आवश्यकता है | तिलक को अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए जेल भेज दिया गया |
वीर सावरकर की क्रांतिकारी गतिविधिया
लन्दन में सावरकर को एडमिशन मिल गया और उन्होंने इंडिया हाउस में रहना शुरू कर दिया। इंडिया हाउस उन दिनों राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था, जिसे पंडित श्यामजी चला रहे थे | सावरकर ने फ्री- इंडिया सोसाइटी का निर्माण किया, जिससे वो अपने साथी भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने को प्रेरित करते थे| सावरकर ने 1857 की क्रांति पर आधारित किताबे पढी और दी हिस्ट्री ऑफ़ दी वॉर ऑफ़ इंडियन इंडिपेंडेंस नाम की किताब लिखी।
इस किताब को ब्रिटिश साम्राज्य में प्रतिबंधित कर दिया, लेकिन मैडम कामा ने इस किताब को नीदरलैंड, फ़्रांस और जर्मनी में प्रकाशित किया | वहा से ये किताब कई भारतीयों के पास पहुची और ये किताब बहुत लोकप्रिय रही | सावरकर ने अपने मित्रो को बम बनाना और गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करने की कला सिखाई | 1909 में सावरकर के मित्र और अनुयायी मदन लाल धिंगरा ने एक सार्वजनिक बैठक में अंग्रेज अफसर कर्जन की हत्या कर दी | धींगरा के इस काम से भारत और ब्रिटेन में क्रांतिकारी गतिविधिया बढ़ गयी |
दो साल मोदी सरकार : PM मोदी से रूठे हैं उनके अपने ही घर के लोग
सावरकर ने धींगरा को राजनीतिक और कानूनी सहयोग दिया, लेकिन बाद में अंग्रेज सरकार ने एक गुप्त और प्रतिबंधित परीक्षण कर धींगरा को मौत की सजा सुना दी, जिससे लन्दन में रहने वाले भारतीय छात्र भडक गये | सावरकर ने धींगरा को एक देशभक्त बताकर क्रांतिकारी विद्रोह को ओर उग्र कर दिया था |
वॉशरूम से भाग निकले, लेकिन पकड़े गए
सावरकर की गतिविधियों को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने हत्या की योजना में शामिल होने और पिस्तौले भारत भेजने के जुर्म में फंसा दिया, जिसके बाद सावरकर को गिरफ्तार कर लिया गया | अब सावरकर को आगे के अभियोग के लिए भारत ले जाने का विचार किया गया | जब सावरकर को भारत जाने की खबर पता चली तो सावरकर ने अपने मित्र को जहाज से फ्रांस के रुकते वक्त भाग जाने की योजना पत्र में लिखी। जहाज रुका और सावरकर खिड़की से निकलकर समुद्र के पानी में तैरते हुए भाग गए, लेकिन मित्र को आने में देर होने की वजह से उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया | सावरकर की गिरफ्तारी से फ्रेंच सरकार ने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया।
वीर सावरकर को काले पानी की सजा
बाद में सावरकर को बॉम्बे लाया गया और उन्हें पुणे की सेंट्रल जेल में रखा गया | सावरकर पर अंग्रेज अफसर को मारने की हत्या की साजिश और भारत में क्रांति की पुस्तके भेजने के दो अभियोगों में 25-25 वर्ष मतलब कुल मिलाकर 50 वर्ष की सजा सुनाई गयी और उन्हें 4 जुलाई 1911 को अंडमान-निकोबार की सेल्लुलर जेल में भेज दिया गया | सेल्लुलेर जेल को उस समय भारतीय काले पानी की सजा कहते थे, क्योंकि उस जेल से भाग पाना असंभव था |
जानिए, 'जय हिंद' और 'भारत माता की जय' का नारा किन मुस्लिम देशभक्तों ने दिया?
सावरकर के बड़े भाई गणेश सावरकर भी उसी जेल में थे लेकिन उस जेल के नियम इतने कड़े थे कि वो अपने भाई से 2 वर्ष तक नही मिल सके | जेल में उन्होंने एक अल्पविकसित जेल पुस्तकालय चलाने की अनुमति मांगी और कैदियों कोई पढ़ाने लिखाने लगे। 1920 में कांग्रेस और अन्य नेताओं महात्मा गांधी ,वल्लभभाई पटेल और बाल गंगाधर तिलक के कहने पर ब्रिटिश कानून ना तोड़ने और विद्रोह ना करने की शर्त पर उनकी रिहाई हो गई।
हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बनें
अब जेल से रिहा होने के बाद 6 जनवरी 1924 को सावरकर ने हिन्दू धर्म के विकास के लिए रत्नागिरी हिन्दू सभा का निर्माण किया | सावरकर ने भारत की जनता को हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की मांग तेज की और जाति प्रथा, छुआछूत का विरोध किया | इसके अलावा, उन्होंने हिन्दू धर्म धर्मांतरित लोगों को फिर से हिन्दू बनने के लिए प्रेरित किया। सावरकर ने एक आम सभा में इसाई धर्म अपनाने वाले ब्राह्मण परिवार को फिर से हिन्दू धर्म में परिवर्तित किया और उनके परिवार करर दो बेटियों की शादी भी करवाई |
उधर जिन्ना द्वारा चलाई जा रही मुस्लिम लीग की बढती लोकप्रियता को देखते हुए उन्होंने राष्ट्रीय राजनीतिक माहौल की तरफ अपना ध्यान आकर्षित किया | सावरकर अब मुंबई चले गये और उन्हें 1937 में हिन्दू महासभा का अध्यक्ष चुना गया और 1943 तक उन्होंने अध्यक्ष पद पर रहते हुए काम किया। सावरकर ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिन्दुओ को एकजुट होने का एक नारा दिया था | कांग्रेस द्व्रारा चलाये जा रहे “भारत छोड़ो आन्दोलन” क्विट इंडिया मूवमेंट का उन्होंने विरोध किया और हिन्दुओ को अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध में सक्रीय रहने को कहा |
चलिए हम आपको लेकर चलते हैं मिथिला दर्शन पर
वीर सावरकर की गिरफ्तारी
30 जनवरी 1948 को गांधीजी की हत्या के बाद पुलिस ने नाथूराम गोडसे के साथ उनको भी गिरफ्तार किया था, क्योंकि गोडसे भी हिन्दू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता था| हत्या की साजिश में शामिल होने का उन पर भी इल्जाम लगा। हालंकि नाथूराम गोडसे ने हत्या की योजना के लिए खुद को जिम्मेदार बताया। फिर सबूतों के आभाव में सावरकर को रिहा कर दिया गया
त्याग दिया शरीर
अब जेल से रिहा होने के बाद फिर से वो अपने हिंदुत्व अभियान में लग गये थे | उनके कई अनुयायी बन गये थे | 8 नवम्बर 1963 को सावरकर की पत्नी यमुना का देहांत हो गया | 1 फरवरी 1966 से सावरकर ने भोजन पानी त्यागकर प्राण त्याग दिया। अपनी मौत से पहले उन्होंने एक लेख लिखा, जिसका शीर्षक 'आत्महत्या नही आत्मार्पण', जिसमें उन्होंने लिखा कि उनके जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो चूका है, इसलिए मौत का इंतजार करने के बजाय अपना जीवन खत्म कर देना बेहतर है।
PAK: जबरन मुसलमान बनाई गई हिंदू लड़की को कोर्ट ने घर भेजने से किया...
बेटी सुप्रिया सुले बनी शरद पवार की उत्तराधिकारी, बनाया NCP का...
मणिपुरः शांति बहाली की दिशा में गृहमंत्री का बड़ा कदम- मदद के लिए...
अमित शाह का राहुल गांधी पर तंज, कहा- विदेश में देश की आलोचना करना...
विमान हादसे के बाद लापता चार बच्चे 40 दिन बाद अमेजन के जंगलों में मिले
कुछ दिन और झुलसाएगी गर्मी, जानें दिल्ली में कब होगी मॉनसून की एंट्री
RBI ने 1,514 शहरी सहकारी बैंकों के लिए 4 कदम उठाए
अंतरराष्ट्रीय रैफरी जगबीर बोले- महिला पहलवानों के प्रति बृजभूषण का...
उमर खालिद के जेल में 1000 दिन : समर्थन में जुटे बड़ी संख्या में लोग
PM मोदी की डिग्री पर केजरीवाल की पुनर्विचार याचिका हुई विचारार्थ...