नई दिल्ली/शेषमणि शुक्ल। पुरानी कहावत है- ‘बंद मुट्ठी लाख की, खुल गई तो खाक की।’ उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। बागी तेवर दिखाने का उन्हें कोई खास फायदा नहीं मिला। उल्टे वे शीर्ष नेतृत्व की निगरानी में आ गए। बताया जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पर्यवेक्षक बना कर उत्तराखंड भेजा जा रहा है। वहीं, शुक्रवार को राहुल गांधी ने राज्य के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद रावत से कहा कि पार्टी को चुनाव जितवा कर पहले बहुमत लाइए, इसके बाद मुख्यमंत्री तय होगा। चुनाव प्रचार का नेतृत्व हरीश रावत करेंगे।
हरिद्वार में धर्म संसद में नफरत भरे भाषण दिए जाने को लेकर FIR दर्ज उत्तराखंड कांग्रेस में पैदा हुए ताजा विवाद को सुलझाने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को यहां अपने आवास पर हरीश रावत समेत राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को बुलाया। सूत्रों के मुताबिक राहुल ने एक-एक कर नेताओं से अलग-अलग बात की। इनमें रावत के अलावा उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, उपनेता करन महरा, सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व पीसीसी चीफ यशपाल आर्य और किशोर उपाध्याय तथा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव शामिल थे। सूत्र बता रहे हैं कि राहुल गांधी ने हरीश रावत और उनके समर्थकों की मंशा पर पानी फेरते हुए साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री का चेहरा अभी घोषित नहीं होगा। चुनाव जीतकर पार्टी बहुमत में आती है तो विधायक दल और पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी मुख्यमंत्री तय करेंगे। हालांकि राहुल ने रावत से कहा कि चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने के नाते चुनाव प्रचार उन्हीं के नेतृत्व में होगा।
हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषण को लेकर विपक्ष ने पूछा- क्या भारत अब भी एक लोकतंत्र है? राहुल के यहां से निकलते हुए संवाददाताओं के सवालों पर हरीश रावत ने कहा कि हम नेतृत्व के सामने अपनी समस्याओं को रखते हैं और वे जो भी फैसले लेते हैं, उन्हें स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं उत्तराखंड चुनाव में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालूंगा। उन्होंने कहा, ‘कदम कदम बढ़ाये जा, कांग्रेस के गीत गाये जा।’ रावत ने कहा कि वह उत्तराखंड के भले के लिए काम करते रहेंगे। रावत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को निर्वाचित विधायकों से बात करने के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता पर फैसला करने का विशेषाधिकार है। सब इसका सम्मान करते हैं और सभी कांग्रेस अध्यक्ष के फैसले को मानेंगे। इन बयानों में रावत की टीस साफ दिख रही है। उनके हाथ खाली रह गए। रावत और उनके समर्थक चाहते थे कि उन्हें मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जाए, जो नहीं हुआ।
राहुल बोले- हिंदुत्ववादी हमेशा नफरत फैलाते हैं, हिंदू-मुसलमान-सिख-ईसाई इसकी क़ीमत चुकाते हैं दरअसल, खुद को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कराने के लिए रावत ने दबाव बनाने का हथकंडा अपनाया और दो दिन पहले ट्विट कर विद्रोह का संकेत देते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें अलग-थलग छोड़ दिया है। ट्विट में बिना नाम लिए उन्होंने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पर अनदेखी का आरोप लगाया था। रावत को छह महीने पहले जुलाई में चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बना दिया गया था। चुनाव लड़ाने से लेकर मुद्दे और रणनीति बनाने तक का काम उन्हें संभालना है। राहुल ने शुक्रवार को उन्हें उनके इसी दायित्व का एहसास कराया। पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि बैठक में तय हुआ कि मुख्यमंत्री के बारे में फैसला बाद में किया जाएगा। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि रावत को जैसा परिवेश चाहिए होगा, बनाया जाएगा और सब उनका समर्थन करेंगे। रावत जी के ही नेतृत्व में चुनाव प्रचार होगा।
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