नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। दो नावों में सवार कांग्रेस महासचिव और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत अब किसी तरह उत्तराखंड में खुद को सक्रिय करना चाहते हैं। उन्होंने पार्टी आलाकमान से उन्हें पंजाब के दायित्व से मुक्त करने की गुजारिश की है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी बुधवार सुबह मुलाकात कर अपनी इच्छा जाहिर की।
हरीश रावत दो नांव पर सवार हैं। बतौर पार्टी महासचिव वे पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हैं। वहीं, उत्तराखंड में एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने की अभिलाषा पाले हुए हैं। पंजाब के साथ ही उत्तराखंड में भी अगले साल के शुरुआत में विधानसभा चुनाव है। पार्टी ने उन्हें प्रचार समिति का प्रमुख बना रखा है। लेकिन रावत पंजाब में बुरी तरह उलझे पड़े हैं। उनके लाख प्रयास के बाद भी पंजाब कांग्रेस का अंदरूनी झगड़ा निपटता नहीं दिख रहा है। एक बार को लगता है कि सब ठीक हो गया, लेकिन कुछ ही घंटे बाद फिर से नया बखेड़ा खड़ा हो जाता है। इसके चलते उनका सारा वक्त पंजाब मामलों को निपटाने में चला जा रहा है। इस दरम्यान उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछने लगी है। पार्टी के भीतर भी लोग अपने-अपने प्यादे फिट करने में लगे हैं। इस काम में रावत कहीं पिछड़ते दिख रहे हैं।
बीते दो दिनों से उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के चलते 50 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं और सैकड़ों लोगों के घर-बार पानी में बह गए। ऐसे वक्त में हरीश रावत न तो अपने लोगों के बीच जा पा रहे हैं और न ही कुछ काम कर पा रहे हैं। अपनी इसी व्यथा को उन्होंने बुधवार को फेसबुक पोस्ट के जरिए व्यक्त किया और पार्टी आलाकमान से उन्हें पंजाब के दायित्व से मुक्त करने का आग्रह किया। उन्होंने लिखा-मैं आज एक बड़ी ऊहापोह से उबर पाया हूं। एक तरफ जन्मभूमि के लिए मेरा कर्तव्य है और दूसरी तरफ कर्मभूमि पंजाब के लिए मेरी सेवाएं है। स्थितियां जटिल होती जा रही हैं, क्योंकि ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आएंगे, दोनों जगह व्यक्ति को पूर्ण समय देना पड़ेगा।
उन्होंने लिखा-कल उत्तराखंड में बेमौसम बारिश ने जो कहर ढाया है, वह हृदयविदारक है। मैं कुछ स्थानों पर ही जा पाया, लेकिन पीडि़तों के आंसू पोंछने के लिए मैं सब जगह जाना चाहता था। मगर कर्तव्य पुकार, मुझसे कुछ और अपेक्षाएं लेकर खड़ी हुई। मैं जन्मभूमि के साथ न्याय करूं तभी कर्मभूमि के साथ भी न्याय कर पाऊंगा। मैं, पंजाब कांग्रेस और पंजाब के लोगों का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे निरंतर आशीर्वाद और नैतिक समर्थन दिया। संतों, गुरुओं की भूमि, नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी की भूमि से मेरा गहरा भावनात्मक लगाव है। उन्होंने कहा कि मैंने निश्चय किया है कि नेतृत्व से प्रार्थना करूं कि अगले कुछ महीने मैं उत्तराखंड को पूर्ण रूप से समर्पित रह सकूं। इसलिए पंजाब में जो मेरा वर्तमान दायित्व है, उस दायित्व से मुझे मुक्त कर दिया जाए। इसके पहले रावत ने राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी इच्छा से अवगत कराया। हालांकि पार्टी आलाकमान की ओर से अब तक इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
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