नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। बिहार में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के बीच खटास और बढ़ा दी। अब दोनों तरफ से तल्खी भरी जुबानी जंग छिड़ गई है। रविवार को राजद प्रमुख लालू यादव ने ही कांग्रेस की उपयोगिता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या होता है गठबंधन? उन्होंने बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास पर भी तंज कसा।
बिहार में हो रहे दो सीटों के उपचुनाव में सत्ताधारी गठबंधन के सामने राजद और कांग्रेस ने अपना अलग-अलग उम्मीदवार खड़ा किया है। कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट कांग्रेस चाहती थी, जिस पर 2020 में उसने अपना प्रत्याशी लड़ाया था। लेकिन राजद ने मना कर दिया। कहा जा रहा है कि यही इनके बीच दरार का कारण बना और अब इनका गठबंधन भी लगभग खत्म है, बस इसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। रविवार को यहां मीडिया से बातचीत में राजद प्रमुख ने कहा कि क्या होता है कांग्रेस का गठबंधन? क्या हमें एक सीट कांग्रेस को हारने के लिए देनी चाहिए? ताकि वह अपनी जमानत भी जब्त करा ले?
लालू की यह प्रतिक्रिया दरअसल, कांग्रेस के पिछले प्रदर्शनों को लेकर है। 2015 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। उपचुनाव में बनी स्थिति को लेकर बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस अब राज्य में राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा नहीं है। इसके बाद नए नए कांग्रेस में आए जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी इशारों इशारों में तेजस्वी यादव पर तंज कसा। अब लालू ने भक्त चरण दास पर तंज कसते हुए निशाना साधा और उन्हें भकचोनर कहते हुए उपहास उड़ाया। दरअसल, लालू इसलिए नए सिरे से चर्चा में हैं, वे जल्द ही बिहार की सियासत में एक बार फिर नजर आने वाले हैं। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स) से इलाज करा रहे लालू इस उपचुनाव में हिस्सा लेने बिहार लौट रहे हैं। वे राजद के लिए प्रचार भी कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि इसका फैसला डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद लिया जाएगा।
बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद, जेदयू और कांग्रेस ने मिल कर महागठबंधन बनाया था, जिसमें राज्य की 243 सीटों में राजद-जदयू ने क्रमश: 101-101 और कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था। राजद 80, जदयू 71 और कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन बाद में जदयू ने इस महागठबंधन को छोड़ एनडीए के साथ मिल कर सरकार बना लिया। इसके बाद राजद मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई और कांग्रेस महज विपक्ष का सहयोगी दल बन कर रह गया है। बदलती परिस्थिति में कांग्रेस अब अपनी रणनीति बदल रही है और राज्य में अकेले के दम पर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है।
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