नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। उत्तराखंड के 22 साल के इतिहास में एक ही दल को लगातार दूसरी बार सत्ता न मिलने का मिथक इस बार टूट गया। प्रदेश की जनता ने भाजपा की सरकार बरकरार रखते हुए लगातार दूसरी बार सत्ता सौंप दी। हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चुनाव हारना इस मिथक को बनाए हुए है कि सिटिंग सीएम की हार तय है।
Uttarakhand Election Result: रुझानों में BJP को बहुमत, 50 सीटों पर आगे भाजपा ने 2017 में 57 सीटों की प्रचंड बहुमत से उत्तराखंड में जीत दर्ज की थी और सरकार बनाई थी। पार्टी ने पांच साल के सत्ता विरोधी लहर को धता बताते हुए एक बार फिर बहुमत से ही सत्ता हथिया ली। राज्य के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि किसी एक दल को लगातार दूसरी बार सत्ता हाथ लगी है। अन्यथा अब तक राज्य की जनता कभी आप, कभी आप के हिसाब से भाजपा-कांग्रेस को सत्ता में लाती रही है। सत्ता विरोधी लहर के दम पर प्रदेश की सत्ता में लौटने का दावा कर रही मुख्य विपक्षी कांग्रेस 20 सीटों के नीचे ही रह गई। ऐसा नहीं कि सत्ता विरोधी लहर थी नहीं। लेकिन इसका सारा ठीकरा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सिर फूटा। धामी खटीमा से अपना चुनाव हार गए। धामी की इस हार ने उस मिथक को बरकरार रखा कि राज्य का सिटिंग सीएम चुनाव नहीं जीत पाता। 2002 से 2007 तक मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी ने चुनाव नहीं लड़ा था। 2007-2012 तक मुख्यमंत्री रहे बीसी.खंडूरी भी अपना चुनाव हार गए थे। 2012-2017 की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत दो सीटों से चुनाव लड़े, दोनों हार गए थे। हरीश रावत इस बार भी अपना चुनाव हार गए, जबकि वे कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे।
शिक्षा मंत्री का भी मिथक टूटा उत्तराखंड में यह भी एक मिथक बना हुआ था कि जो शिक्षा मंत्री रहता है, वह चुनाव हारता है। मौजूदा भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय गदरपुर से लगातार तीसरी बार चुनाव जीत हैट्रिक लगा दी है। वे पिछले पांच साल से भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री हैं। जबकि इसके पहले के सभी शिक्षा मंत्री चुनाव हारते रहे हैं। 2000 में जब उत्तराखंड में भाजपा की कार्यवाहक सरकार बनी तो शिक्षा मंत्री बनाए गए तीरथ सिंह रावत 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में सदन में नहीं पहुंच सके। 2002 में एनडी तिवारी की सरकार बनी तो नरेंद्र भंडारी को शिक्षा मंत्री बनाया गया। 2007 का चुनाव हुआ तो भंडारी चुनाव हार गए। 2012 में बीसी खंडूरी की सरकार बनी तो खजान दास और उसके बाद गोविंद बिष्ट शिक्षा मंत्री रहे। 2017 के चुनाव में ये भी हार गए। लेकिन 2022 में अरविंद पांडेय ने मंत्री रहते दोबारा चुनाव जीत कर मिथक तोड़ दिया।
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