नई दिल्ली / टीम डिजिटल। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की अनुषंगी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा छत्तीसगढ़ से बाहर कोयला भेजने के विरोध में इंटक ने कोयला उत्पादक राज्यों के उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर कोयला आपूर्ति की मांग की। इस संबंध में जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी किया गया। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा गया है।
उत्तराखंड में अपराधियों को संरक्षण न मिले, इसलिए फिर से बनाएं BJP सरकारः CM योगी इंटर के राष्ट्रीय महासचिव एवं छत्तीसगढ़ इंटक के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने मांग की है कि सरकार को कोयला उत्पादन वाले राज्यों में सक्रिय उद्योगों को कोयला उपलब्ध कराने की प्राथमिकता देनी चाहिए। कोयला उत्पादक राज्यों के उद्योगों की जरूरतें पूरी करने के बाद गैर-उत्पादक राज्यों को कोयला आपूर्ति की जानी चाहिए।
IPL Auction 2022: नीलामी के दौरान बेहोश हुए नीलामीकर्ता ह्यू एडमीड्स सिंह ने इस संबंध में एक पत्र प्रधानमंत्री को लिखा है। पत्र में मांग की गई है कि पहले कोयला उत्पादक राज्यों में सक्रिय उद्योगों की जरूरतें पूरी की जाएं। इसके बाद अन्य राज्यों को कोयला भेजा जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर लोग विरोध पर उतारू हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सीपीपी आधारित उद्योगों को कोयले की आपूर्ति शीघ्र नहीं की गई तो वे बंद होने के कगार पर आ जाएंगे। लाखों मजदूरों की रोजी-रोटी संकट में पड़ जाएगी। इन सब बातों को देखते हुए विभिन्न राज्यों में कानून व्यवस्था बिगडऩे की आशंका है।
देश के कुल कोयला भण्डार का हिस्सा 56 बिलियन टन कोयला छत्तीसगढ़ में है सिंह ने बताया कि एसईसीएल द्वारा उत्पादित कोयले का प्रयोग छत्तीसगढ़ स्थित उद्योगों और राज्य के बाहर के उद्योगों में किया जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान एसईसीएल प्रबंधन ने सीपीपी आधारित उद्योगों के कोयले में लगातार कटौती की है। गौरतलब है कि देश के कुल कोयला भण्डार का 18 प्रतिशत हिस्सा यानी 56 बिलियन टन कोयला छत्तीसगढ़ में है। राज्य के 250 से अधिक कैप्टिव विद्युत संयंत्रों पर आधारित उद्योगों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 32 मिलियन टन कोयले की जरूरत है जो एसईसीएल के उत्पादन का मात्र 19 प्रतिशत है। एसईसीएल का सालाना उत्पादन 165 मिलियन टन है। वर्तमान में सीआईएल द्वारा कोयले का पयाज़्प्त उत्पादन होने के बावजूद भी छत्तीसगढ़, ओड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना, झारखंड आदि राज्यों के सीपीपी आधारित उद्योगों को कोयला नहीं मिल पा रहा है।
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