नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। कांग्रेस एक तरफ खुद को मजबूत करने के लिए चिंतन-मनन में लगी है तो दूसरी ओर पार्टी से नेताओं के जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। अश्विनी कुमार, कैप्टन अमरिंदर सिंह, आरपीएन सिंह, सुनील जाखड़ और हार्दिक पटेल के बाद अब पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ दिया। सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है।
'छोड़ना आसान नहीं था...' कांग्रेस छोड़ने के बाद कपिल सिब्बल ने कही ये 4 बातें दो बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा से सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने ऐसे वक्त में कांग्रेस छोड़ी, जब पार्टी 13 से 15 मई तक उदयपुर में चिंतन शिविर लगाकर खुद को मजबूत करने और संगठन में बड़े सुधारों का ब्लू प्रिंट तैयार रही थी। बकौल सिब्बल 16 मई को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। सूत्र बता रहे हैं कि सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने सिब्बल को मनाने का भी प्रयास किया, लेकिन सिब्बल ने यह कहते हुए अपना फैसला वापस लेने से मना कर दिया कि अब दूरियां बहुत बढ़ चुकी हैं। हालांकि सिब्बल का इस्तीफा सार्वजनिक होने बाद कांग्रेस इसे ज्यादा तरजीह देती नहीं दिख रही है। पार्टी के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति में उच्च स्तर की पार्टी है। ऐसे झटकों से हम सबक लेंगे और इससे उबरेंगे।
कपिल सिब्बल ने सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन कांग्रेस के कथित असंतुष्ट समूह जी-23 में शामिल सिब्बल की लंबे वक्त से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से अदावत चली आ रही थी। खासकर राहुल गांधी से सिब्बल की नाराजगी ज्यादा थी। वे लगातार राहुल गांधी की कार्यशैली, व्यवहार और फैसलों को लेकर टिप्पणियां करते रहे। हाल के पांच राज्यों के चुनाव के बाद उन्होंने पूरे गांधी परिवार को ही निशाने पर लेते हुए पार्टी को ‘घर की कांग्रेस’ तक कह डाला था और किसी गैर गांधी को पार्टी का नेतृत्व सौंपने का सुझाव दिया था। इसके बाद से देखा जा रहा है कि जी-23 के सदस्य गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत बाकी कई नेताओं को पार्टी किसी न किसी रूप से तरजीह दे रही है लेकिन सिब्बल को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया गया। चिंतन शिविर में भी उन्हें नहीं बुलाया गया। इसके बाद कांग्रेस छोड़ने वाले दिग्गज नेताओं में उनका भी नाम शामिल हो गया।
गुजरात चुनाव से पहले BJP विकल्प हो सकता है? हार्दिक पटेल ने कहा- क्यों नहीं सिब्बल से पहले बीते पांच महीने में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, सुनील जाखड़, हार्दिक पटेल का कांग्रेस से इस्तीफा हो चुका है। पिछले साल पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़ी थी। उसके पहले 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने के साथ मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ढहा दी थी। अब सिब्बल ने सपा में शामिल न होकर उसके समर्थन से राज्यसभा के लिए निर्दलीय नामांकन किया है। उनके नामांकन के वक्त सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव भी उत्तर प्रदेश विधानसभा में मौजूद रहे।
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