नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आरोप लगाया कि कथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने मुगल शहजादे दारा शिकोह समेत तमाम महान हस्तियों को सही पहचान और उचित स्थान नहीं दिया। उन्होंने किसी दल का नाम नहीं लिया, लेकिन लंबे वक्त तक केंद्र की सत्ता में रही कांग्रेस की ओर उनका साफ इशारा था। मुगल शासक शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र दारा शिकोह एक विचारक, कवि और विद्वान थे। नकवी के मुताबिक उनके कार्य को महत्व नहीं दिया गया और दकियानूसी सियासत के चलते उनकी विरासत को भुलाने और भरमाने की साजिश की गई।
PM मोदी की युवाओं से अपील- संभालें भारत की विकास यात्रा की बागडोर लंबे वक्त से भारतीय इतिहास पर तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं और इसमें तथ्यात्मक तोड़ मरोड़ के आरोप लगते रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नकवी ने दारा शिकोह के बहाने पूर्ववर्ती सरकारों को आड़े हाथ लिया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की ओर से ‘दारा शिकोह क्यों आज भी मायने रखते हैं: उनकी शख्सियत और उनके कार्यों की याद’ विषय पर आयोजित एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में नकवी ने कहा कि सामाजिक सद्भाव, सौहार्द, सहिष्णुता, सर्वधर्म सम्भाव भारत की आत्मा है और एकता में अनेकता भारत की ताकत है। दारा शिकोह अपने पूरे जीवन इसी संस्कृति, संस्कार के सार्थक सन्देश वाहक रहे। लेकिन तथाकथित सेक्युलरिज्म के सूरमाओं की सरकारों ने कई अन्य महान लोगों की तरह ही दारा शिकोह को भी न्यायोचित स्थान और पहचान नहीं दी। न ही उनके कार्यों को महत्व दिया। उन्होंने कहा कि दारा शिकोह का व्यक्तित्व बहुत बहुमुखी था। वह एक बहुत ही जिंदादिल इंसान, एक विचारक, महान शायर, विद्वान, सूफी और कला की गहरी समझ रखने वाली शख्सियत थे।
कोरोना संक्रमण : ‘येलो’ अलर्ट के बाद दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, मॉल, सिनेमा हॉल बंद उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां सभी धर्मों, सम्प्रदायों के मानने वाले करोड़ों लोग शांति, सौहार्द, सहिष्णुता के साथ रह कर तीज-त्यौहार और पर्व मनाते हैं और अनेकता में एकता की एक मिसाल पेश करते हैं। भारत में जहां सभी पंथों, सम्प्रदायों को मानने वाले रहते हैं, वहीं किसी भी मजहब को ना मानने वाले लोग भी रहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस साझा विरासत और ताकत को मजबूत रखना है। सहिष्णुता हमारा संस्कार एवं सह-अस्तित्व हमारी संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारत जहां दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक-धार्मिक ज्ञान का केंद्र है, वहीं सर्वधर्म सम्भाव एवं वसुधैव कुटुंबकम की प्रेरणा का स्रोत भी है।
कालीचरण महाराज FIR के बावजूद महात्मा गांधी के खिलाफ अपने बयान पर अडिग उन्होंने कहा कि सह-अस्तित्व के संस्कार और सहिष्णुता की संस्कृति, संकल्प को किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं होने देना है। यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। इस अवसर पर आरएसएस के संयुक्त महासचिव डॉ. कृष्ण गोपाल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपित प्रोफेसर तारिक मंसूर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपित प्रोफेसर नजमा अख्तर, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलपित प्रोफेसर ऐनुल हसन सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।
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