Thursday, Jun 08, 2023
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out of 1984 sikh riot victims, 14 people got government jobs

1984 सिख दंगा पीड़ितों में 14 लोगों को मिली सरकारी नौकरी

  • Updated on 3/21/2023

नई दिल्ली/ सुनील पाण्डेय। 1984 सिख विरोधी दंगों के दौरान अपने परिवार जनों को खोने वाले पीडि़तों को सरकारी नौकरी देने के ऐलान के 17 साल बाद प्रक्रिया शुरू हो गई है। पहले चरण में 14 लोगों को नौकरी देने का दावा किया जा रहा है। इसका खुलासा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सोमवार को मीडिया के समक्ष की।

कमेटी के मुताबिक वर्ष 2006 में तत्कालीन केन्द्र सरकार के आदेश में 72 व्यक्तियों को नौकरी देने की बात कही गई थी। इसी में से अभी 14 लोगों को नौकरी दी गई है। बाकी अन्य 54 लोगों को भी जल्द नौकरी दिलवाने का प्रयास हो रहा है। बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में खुद पीडि़त परिवारों को नौकरी देने का ऐलान किया था। नौकरी दिल्ली सरकार को देनी है।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, महासचिव जगदीप सिंह काहलों, उपाध्यक्ष आत्मा सिंह लुबाणा एवं पूर्व अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे बड़ी जीत एवं इंसाफ बताया है। उनके मुताबिक केन्द्र सरकार ने 2006 में सिख कत्लेआम पीडि़त परिवारों के बच्चों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी मगर दिल्ली की सरकार के द्वारा टालमटोल करते हुए इसे लटकाया जाता रहा। इसके पीछे सरकारों की क्या मंशा रही यह किसी से छिपा नहीं है।

2019 में जब मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष और हरमीत सिंह कालका महासचिव थे तो उनके द्वारा इस पर विशेष संज्ञान लेते हुए मामला कोर्ट में ले जाया गया व कोर्ट में पिछले 4 वर्षों से लड़ाई लड़ते हुए कमेटी को सफलता हासिल हुई है। 

कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के मुताबिक 1000 पीडि़त परिवारों को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए कमेटी कार्य कर रही है उसमें भी निश्चित तौर पर सफलता हासिल होगी। दिल्ली कमेटी निरंतर संघर्ष करती आ रही है। बीते समय में उनके साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी दिल्ली के उपराज्यपाल से भी मिला था।

गृहमंत्री अमित शाह द्वारा भी इस विषय को गंभीरता से लेते हुए दखलअंदाजी कर दिल्ली के उपराज्यपाल व कमिश्नर को निर्देश दिये गये थे। इसके चलते उपराज्यपाल के द्वारा 14 लोगों की पहली सूची निकाली गई है। बाकी सभी को आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही उन्हें भी नौकरी दी जाएगी।

सिरसा ने बताया कि इसके लिए 3 श्रेणियां बनाई गई है। इनमें पहले वह लोग थे जिनके पास 12वीं का सर्टिफिकेट या दूसरे वह जो अशिक्षित थे व तीसरी श्रेणी में वह लोग थे। इसमें पीडि़त लोगों ने अपने किसी संबंधी को नौकरी देने की पेशकश की थी।

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