नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। नए संसद भवन में लगाए जा रहे राष्ट्रीय प्रतीक के शेरों के स्वरूप को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है। विपक्ष के कई दलों के नेताओं का आरोप है कि अशोक की लाट के मोहक और राजसी शान वाले शेरों की जगह उग्र और खूंखार शेरों का चित्रण कर राष्ट्रीय प्रतीक के रूप को बदल दिया गया। विपक्ष के नेताओं ने इसे तत्काल दुरुस्त करने की मांग की है। वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए विपक्ष पर राजनीतिक कारणों से बेवजह का विवाद पैदा करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस विधायकों लोबो, कामत के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं मंजूर : विधानसभा अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया था। पहले तो विपक्ष ने मोदी पर संविधान के नियमों को तोड़ने और समारोह में विपक्षी नेताओं को आमंत्रित नहीं करने को लेकर निशाना साधा। अब राष्ट्रीय प्रतीक के शेरों के रूप-स्वरूप को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा खूब ट्रेंड हो रहा है। मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ट्विट किया, ‘नरेंद्र मोदी जी, कृपया शेर का चेहरा देखिए। यह महान सारनाथ की प्रतिमा को परिलक्षित कर रहा है या गिर के शेर का बिगड़ा हुआ स्वरूप है। कृपया इसे देखिए और जरूरत हो तो इसे दुरुस्त कीजिए।’ भारतीय युवा कांग्रेस ने भी राष्ट्रीय प्रतीक के पुराने और नए तस्वीर को साझा करते हुए लिखा, दोनों को गौर से देखिए और बताइए कि नए अशोक स्तंभ में क्या नया है।
@narendramodi Ji, please observe the face of the Lion, whether it is representing the statue of Great #Sarnath or a distorted version of GIR lion. please check it and if it needs, mend the same. — Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) July 12, 2022
@narendramodi Ji, please observe the face of the Lion, whether it is representing the statue of Great #Sarnath or a distorted version of GIR lion. please check it and if it needs, mend the same.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक के दो अलग-अलग चित्रों को साझा करते हुए ट्विट किया, ‘यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीक का, अशोक की लाट में चित्रित शानदार शेरों का अपमान है। बांयी ओर मूल चित्र है। मोहक और राजसी शान वाले शेरों का। दाईं तरफ मोदी वाले राष्ट्रीय प्रतीक का चित्र है जिसे नए संसद भवन की छत पर लगाया गया है। इसमें गुर्राते हुए, अनावश्यक रूप से उग्र और बेडौल शेरों का चित्रण है। शर्मनाक है। इसे तत्काल बदलिए।’
Insult to our national symbol, the majestic Ashokan Lions. Original is on the left, graceful, regally confident. The one on the right is Modi’s version, put above new Parliament building — snarling, unnecessarily aggressive and disproportionate. Shame! Change it immediately! pic.twitter.com/luXnLVByvP — Jawhar Sircar (@jawharsircar) July 12, 2022
Insult to our national symbol, the majestic Ashokan Lions. Original is on the left, graceful, regally confident. The one on the right is Modi’s version, put above new Parliament building — snarling, unnecessarily aggressive and disproportionate. Shame! Change it immediately! pic.twitter.com/luXnLVByvP
इतिहासकार एस इरफान हबीब ने भी नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़ पूरी तरह अनावश्यक है और इससे बचा जाना चाहिए। हमारे शेर अति क्रूर और बेचैनी से भरे क्यों दिख रहे हैं? ये अशोक की लाट के शेर हैं जिसे 1950 में स्वतंत्र भारत में अपनाया गया था। वरिष्ठ वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि गांधी से गोडसे तक, शान से और शांति से बैठे हमारे शेरों वाले राष्ट्रीय प्रतीक से लेकर सेंट्रल विस्टा में निर्माणाधीन नए संसद भवन की छत पर लगे उग्र तथा दांत दिखाते शेरों वाले नए राष्ट्रीय प्रतीक तक। यह मोदी का नया भारत है।
सीपीडब्ल्यूडी सेंट्रल विस्टा परियोजना से कायाकल्प में महत्वपूण योगदान दे रहा है : हरदीप सिंह पुरी भाजपा ने इस मुद्दे पर पलटवार करते हुए विपक्षी दलों पर जानबूझकर राजनीतिक कारणों से एक के बाद विवाद पैदा करने का आरोप लगाया। पार्टी ने दावा किया कि नए संसद भवन के शीर्ष पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न सारनाथ में स्थित प्रतीक चिह्न की ही प्रतिकृति है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा के सदस्य अनिल बलूनी ने कहा कि विपक्ष के आरोपों की मूल वजह उनकी कुंठा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में अंग्रेजों द्वारा 150 साल पहले बनाए गए संसद भवन की जगह भारत अपना नया संसद भवन बना रहा है। उन्होंने कहा कि यह लोगों को गुमराह कर वातावरण को दूषित करने का महज एक षडय़ंत्र है। बलूनी ने कहा कि यह ध्यान देना भी जरूरी है कि संसद भवन पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक की ऊंचाई 6.5 मीटर है जो कि सारनाथ स्थित राष्ट्रीय प्रतीक से तीन गुणा बड़ा है। वहीं, एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय प्रतीक की पुरानी और नई दोनों तस्वीरें ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा-संदेश स्पष्ट है एक पुराना भारत है और दूसरा नया भारत।
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