नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो। कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने फेल बताया है। उनका मानना है कि इस शिविर में पार्टी कुछ भी सार्थक फैसला नहीं ले सकी। जो भी फैसले हुए वे पार्टी की मौजूदा स्थिति को बनाए रखने और कांग्रेस नेतृत्व को कुछ और वक्त मुहैया कराने तक ही सीमित दिखते हैं। जबकि कुछ ही महीने बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं।
कांग्रेस का जागा 'हिंदी' प्रेम, चिंतन शिविर में हिंदी में हुई बात, हिंदी में ही पारित हुए प्रस्ताव प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को ट्विट किया, ‘‘मुझसे उदयपुर चिंतन शिविर के नतीजे पर टिप्पणी करने के लिए बार-बार कहा गया है...मेरे विचार से, यह यथास्थिति को और लंबा खींचने और कांग्रेस नेतृत्व को कुछ समय देने के अलावा कुछ भी सार्थक चीज हासिल कर पाने में नाकाम रहा, कम से कम गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आसन्न चुनावी हार तक!’’ भाजपा शासित इन दोनों राज्यों में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। गुजरात में भाजपा पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है और हिमाचल में 10 साल से। 182 सीटों वाले गुजरात विधानसभा में भाजपा के पास 111 और कांग्रेस के पास 63 सीटें हैं। वहीं, 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भाजपा के पास 44 और कांग्रेस के पास 21 सीटें है। आई-पैक के संस्थापक प्रशांत किशोर को कुछ महीने पहले कांग्रेस में जान फूंकने के लिए पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव था, कुछ कारणों से यह योजना पूरी नहीं हो सकी थी।
I’ve been repeatedly asked to comment on the outcome of #UdaipurChintanShivir In my view, it failed to achieve anything meaningful other than prolonging the status-quo and giving some time to the #Congress leadership, at least till the impending electoral rout in Gujarat and HP! — Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 20, 2022
I’ve been repeatedly asked to comment on the outcome of #UdaipurChintanShivir In my view, it failed to achieve anything meaningful other than prolonging the status-quo and giving some time to the #Congress leadership, at least till the impending electoral rout in Gujarat and HP!
कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर के फैसलों पर पार्टी के भीतर भी बेचैनी है, लेकिन खुलकर अभी कोई कुछ बोल नहीं रहा है। चुनावों में लगातार हो रही हार के चलते ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के एक समूह जी-23 ने संगठन और प्रबंधन के स्तर पर आमूलचूल बदलाव की बात कही थी, मगर चिंतन शिविर में इन मुद्दों से ज्यादा इस पर ध्यान दिया गया कि किस तरह से उन लोगों को किनारे लगाया जा सकता है, जो गाहे-ब-गाहे विरोध का स्वर उठाते रहते हैं। पार्टी का एक बड़ा धड़ा मान रहा है कि वरिष्ठों और युवाओं में पद-टिकट में 50:50 का फारमूला हो या फिर पांच साल के कूलिंग पीरियड का प्रावधान, इनके जरिए विरोधियों को ठिकाने लगाने का काम किया जाएगा। हालांकि पार्टी के कर्ताधर्ता शिविर में लिए फैसलों को लेकर आने वाले वक्त में एक नई कांग्रेस के उदय का दावा कर रहे हैं।
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