नई दिल्ली/ नेशनल ब्यूरो : भारतीय रेलवे ने नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के प्रबंधक निदेशक सतीश अग्निहोत्री की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रभारी थे। अग्निहोत्री के खिलाफ आधिकारिक पद के दुरुपयोग और अनधिकृत तरीके से धन को एक निजी कंपनी को भेजने सहित कई आरोप हैं। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अग्निहोत्री का प्रभार एनएचएसआरसीएल के परियोजना निदेशक राजेंद्र प्रसाद को तीन महीने के लिए सौंपा गया है। एनएचएसआरसीएल, भारत सरकार और हाई-स्पीड रेल परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भागीदार राज्यों का एक संयुक्त उद्यम है। यह मुंबई और अहमदाबाद के बीच सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अग्निहोत्री के खिलाफ आधिकारिक पद के दुरूपयोग और अनधिकृत तरीके से धन को एक निजी कंपनी को भेजने सहित कई आरोप हैं। उन्होंने बताया कि अग्निहोत्री की सेवाएं समाप्त करने का फैसला लोकपाल अदालत के दो जून के आदेश के बाद आया है, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एनएचएसआरसीएल के पूर्व प्रबंध निदेशक द्वारा एक निजी कंपनी के साथ एक दूसरे को फायदा पहुंचाने के लिए किये गये कथित करार के आरोपों की जांच का आदेश दिया गया था। अधिकारी के मुताबिक अग्निहोत्री ने रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के सीएमडी के तौर पर नौ साल के अपने कार्यकाल के दौरान इन गतिविधियों को कथित तौर पर अंजाम दिया था। लोकपाल अदालत ने सीबीआई को यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि अग्निहोत्री के खिलाफ क्या भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के तहत कोई अपराध का मामला बनता है और जांच रिपोर्ट लोकपाल कार्यालय को छह महीने में या 12 दिसंबर 2022 से पहले सौंपी जाए। सूत्रों के मुताबिक एनएचएसआरसीएल के कंपनी सचिव को संबोधित रेलवे बोर्ड के सात जुलाई के पत्र में कहा गया है, सक्षम प्राधिकार ने सतीश अग्निहोत्री की सेवाएं समाप्त करने को मंजूरी दे दी है। उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त किया जाता है। अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि अग्निहोत्री ने अपनी सेवानिवृत्ति के एक साल के अंदर एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। यह सरकार के उन नियमों का उल्लंघन है जो सेवानिवृत्त अधिकारियों को सेवानिवृत्त होने के बाद केंद्र की अनुमति के बगैर एक साल से पहले कोई वाणिज्यिक नियुक्ति स्वीकार करने से निषिद्ध करता है। अग्निहोत्री के करीबी सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ नौकरशाह ने सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा कि उन्होंने किसी खास कंपनी को फायदा नहीं पहुंचाया और ना ही उनका बेटा इस तरह की किसी कंपनी में काम करता है जिसे कार्य सौंपे गये थे। उन्होंने बताया कि अग्निहोत्री ने यह भी कहा है कि उन्होंने काॢमक विभाग को पत्र लिखकर कंपनी में नौकरी शुरू करने से पहले एक साल की 'कूङ्क्षलग ऑफ (किसी निजी कंपनी में नौकरी नहीं करने की) अवधि में छूट देने का आग्रह किया था। उधर, अग्निहोत्री ने इस विषय पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि अग्निहोत्री को एनएचएसआरसीएल के प्रमुख के तौर पर प्रतिष्ठित पद मिलने के बाद उनके एक 'बैचमेट ने उनके खिलाफ शिकायत की थी। अग्निहोत्री, 1982 बैच के आईआरएसई (इंस्टीट्यूशन ऑफ रेलवे सिग्नल इंजीनियर्स) अधिकारी हैं। वह रेलवे विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रह चुके हैं। वह हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड की जुलाई 2012 में स्थापना होने से लेकर अगस्त 2018 तक इसके अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। यह आरवीएनएल की एक पूर्ण अनुषंगी कंपनी है। अग्निहोत्री को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी करने वाले रेलवे ने उनके खिलाफ लगे आरोपों पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
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