नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सावन के पवित्र महीने के आखिरी शनिवार को गुजरात के तरसाली में स्थित एक हनुमान मंदिर भक्तों से भरा था। वहां भगवान के दर्शन के लिए भीड़ जमा थी। जहां मंदिर में पूजा हनुमान चालीसा के साथ शुरू हुई वहीं कुछ ही देर में मंदिर में 'या मोहम्मद' और 'ख्वाजा' जैसी आवाजें भी आने लगी।
ये एक ऐतिहासिक समय था क्योंकि पहली बार इस हनुमान मंदिर में मंदिर प्रबंधकों ने मुस्लिम कव्वाल को परफॉर्म करने के लिए बुलाया था। इन 10 कव्वालों ने न केवल एक शानदार परफॉर्मेंस दी बल्कि लोगों को इस तरह मुग्ध कर दिया की वहां मौजूद लोग भी उनके साथ गाने लगे।
मंदिर में पूजा करने के हैं कुछ जरुरी नियम, इनका रखें ध्यान
इन्हीं में से एक कव्वाल ने कहा कि हम ने कई मस्जिदों और धार्मिक प्रोग्राम में परफॉर्मेंस दी है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि हमने किसी मंदिर में परफॉर्म किया हो। हम खुद इस बात को जानकार हैरान थे की सावन के पवित्र महिने में हम मुस्लिम कव्वाल को किसी मंदिर में परफॉर्मेंस के लिए बुलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए उनके इस आमंत्रण को तुरंत स्वीकार कर लिया। भले ही वो कव्वाली हो या मंत्र, अगर भक्तिभाव से गाया जाए तो भगवान तक जरूर पहुंचता है। हमने भी अपनी कव्वालियों के जरिए भगवान हनुमान की इबादत की। बता दें कि कव्वालों ने अपने प्रोग्राम की शुरुआत देश को एक कव्वाली समर्पित करके की। इसी के बाद उन्होंने हिंदी और गुजराती दोनों ही भाषाओं में कव्वाली गाई।
उन्हीं की टीम के एक और कव्वाल ने कहा कि हम कलाकार हैं। इसलिए हम किसी भी धर्म में फर्क नहीं करते हैं। यहां तक की हम श्री मारुति मंडल के आभारी हैं कि उन्होंने हमें इस मंदिर में परफॉर्म करने का मौका दिया। हम वहां मौजूद भक्तों की उस भीड़ को देखकर आश्चर्यचकित थे जो हनुमान आरती के साथ कव्वाली सुनने पहुंचे। ऐसा केवल हमारे ही देश में हो सकता है। कव्वालों ने बताया की पीढ़ियों से उनके परिवार कव्वाली गाते आ रहे हैं।
समलैंगिकता सही या गलत? क्या कहते हैं धर्म
श्री मारुति मंडल के अध्यक्ष राकेश पटेल ने मंदिर में कव्वाली का आयोजन किया था। उन्होंने कहा कि इस तरह का कदम सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ाने के लिए अहम है। हमने हनुमान आरती के साथ भगवान की पूजा की और इस पवित्र दिन का उत्सव मनाने के लिए कव्वाली भी गाई। हमें खुशी है कि शहर में मौजूद भक्त बड़ी संख्या में इस मौके पर पहुंचे और कव्वाल की परफॉर्मेंस के लिए भी उनकी तारीफ की।
झील किनारे मौजूद इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां के 3,000 सदस्यों में से 500 मुस्लिम हैं। यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोग हर शनिवार पूजा करने के लिए आते हैं। दोनों ही धर्मों के लोग इस मंदिर में दान भी करते हैं।
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