Thursday, Sep 28, 2023
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Recognition of Sikh schools associated in danger, former stalwarts of the committee came to save

DSGMC से जुडे सिख स्कूलों की खतरे में मान्यता, बचाने उतरे कमेटी के पूर्व दिग्ग्ज

  • Updated on 6/9/2023

नई दिल्ली/ सुनील पाण्डेय : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन आते गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों को बचाने के लिए पूर्व कमेटी अध्यक्ष एकजुट होकर मैदान में उतर गए हैं। साथ ही स्कूल कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने में विफल रहे डीएसजीएमसी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका का इस्तीफा मांगा है।  
शिरोमणी अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना एवं जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने संयुक्त रुप से स्कूलों की खस्ता हालत के दिल्ली कमेटी के मौजूदा प्रबन्धकों को लताड़ा। दोनों नेताओं ने कहा इनकी नाकामी के चलते आज स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। बर्जुर्गों के द्वारा स्थापित स्कूल जो कि पंथ की विरासत हैं उनकी मान्यता रद्द करने की नौबत आ रही है। अदालत ने इसके संकेत भी दिए हैं, जो कि बेहद चिन्ता का विषय है। अगली तारीख 21 अगस्त की है जिसमें कमेटी अध्यक्ष हरमीत कालका को मौजूद रहने को कहा गया है। उन्होंने कहा पर कमेटी पर काबिज हरमीत कालका और महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने लापरवाही की सारी हदें पार कर दी हैं। इन्होंने अगर समय रहते स्कूलों को संभाल लिया होता तो शायद आज ऐसी परिस्थिति पैदा ना होती। 
 परमजीत सिंह सरना और मनजीत सिंह जीके ने कहा कि अदालत ने डीएसजीएमसी द्वारा संचालित गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों में स्टाफ को 7वें वेतन आयोग के मुताबिक हल्फनामा ना देने पर कमेटी के मौजूदा प्रबन्धकों पर कोर्ट की अवमानना का नोटिस दिया है। साथ ही अगले 4 सप्ताह में स्कूलों की या तो मान्यता रद्द करने या फिर प्रवेक्षक नियुक्ति करने के संकेत दे दिये हैं। अब यह शिक्षा विभाग पर निर्भर है कि वह या तो हमारे स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दे या उन्हें चलाने के लिए किसी तीसरे पक्ष के प्रशासक को नियुक्त करे। दोनों घटनाओं में, हम अपने स्कूलों को खोने के कगार पर खड़े हैं।
   दोनों नेताओं ने कहा कि अब जब कालका और उनके साथियों को अवमानना नोटिस जारी किया गया है और कर्मचारियों के प्रति अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, तो उन्हें तत्काल प्रभाव से अपना पद छोड़ देना चाहिए। हम अपने स्कूलों और उनके कर्मचारियों की रक्षा करने और इन संस्थानों के गौरव को बहाल करने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, करेंगे। 

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