नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। धीरे-धीरे साल का अंत होने पर आ गया है। ऐसे में हम अपने सफरनामे में राजनीति से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। ऐसे में इस लेख में हम चर्चा करने वाले हैं कि कैसे इस साल देश के संसद में मोदी सरकार को इन बिलों के पेश करने के दौरान भारी विरोध का सामना करना पड़ा था।
UAPA का हुआ विरोध इस साल की शुरुआत में केंद्र सरकार ने संसद में UAPA कानून को पेश किया था। जिसका विरोध पूरा विपक्ष कर रहा था। इस बिल के लिए सरकार आंतकवाद के तहत कड़ी कार्यवाही करना चाह रही थी। जिससे कुछ ऐसी शर्तों को भी शामिल किया गया था जिससे विपक्ष सहमत नहीं था। सभी पार्टियों ने इस कानून के जरिए केंद्र सरकार पर गलत तरीके से शक्ति के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। मगर सत्ता पक्ष ने उसकी एक बात नहीं सुनी। और यह बिल पास हो गया। सफरनामा 2020: इन बड़े नेताओं ने किया अपनी पार्टी से किनारा, थामा विरोधी पार्टी का दामन
CAA-NRC पर हुआ विरोध केंद्र सरकार इस साल NRC के साथ- साथ CAA का बिल लेकर आई थी। जिसका पूरे देश में जमकर विरोध हुआ था। केंद्र सरकार ने इसे बड़े विरोध के बाद भी पास करा लिया। मगर इस कानून पर कई राज्य सरकारों ने उसका साथ नहीं दिया था। सरकार के गठबंधन की साथी जेडीयू ने भी इस बिल में मतदान नहीं किया। इस बिल के बाद पूरे देश में कई जगह भारी विरोध देखा गया। यहां तक की राज्य सरकारों ने इसके खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव भी लाए थे
यूपी में वकील से दुर्व्यवहार पर प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल, हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान कृषि कानून का हुआ विरोध फिलहाल देश में कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है। चूंकि इस कानून को सरकार अध्यादेश के जरिए ले आई। लेकिन जिस समय इस कानून को संसद में पेश किया गया। उस समय भी इसका जमकर विरोध हुआ था। आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने इसका विरोध करते हुए इसकी प्रति भी फाड़ दी थी। इसके बाद भी लगातार संसद के बाहर इसके खिलाफ विपक्ष एकजुट हो चुका है। पटना में नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसानों ने राजभवन की ओर कूच पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
लव जिहाद का किया विरोध बीजेपी ने इस वर्ष कई राज्यों में लव जिहाद कानून पेश किया है। जिसका देश की कई पंथनिरपेक्ष पार्टियों ने जमकर विरोध किया है। विपक्षी पार्टिया इस कानून को संविधान पर हमला मान रही है। उन्होंने लगातार इस कानून का विरोध किया है।
लेवर कानून को परिवर्तित किया उत्तरप्रदेश में बीजेपी ने कोरोनाकाल के दौरान मजदूर कानूनों में परिवर्तन किया था। जिसका पूरे देश ने विरोध किया। इसमें सरकार ने कई ऐसे बड़े बदलाव किए थे। जिनका असर मजदूरों को गलत तरीके से पड़ सकता है। सरकार ने इस कानून के माध्यम से मजदूरों से कई हक छीनने की कोशिश की थी।
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