Saturday, Sep 23, 2023
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वाह इंडिया! सिंधू की जीत से ज्यादा Google पर ढूंढ रहे उसकी जाति

  • Updated on 8/20/2016

Navodayatimesनई दिल्ली (टीम डिजिटल)। यदि बी.आर. अम्बेडकर होते तो उन्हें यह जानकर बेहद दुख होता कि भारत में जिस जाति व्यवस्था को उखाड़ने का उन्होंने जिंदगी भर प्रयास किया, आज वो सभी प्रयास बर्बाद हो रहे हैं। 

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क्योंकि आज भी देश में एक ऐसा तबका है जिनके लिए जाति अभी भी बहुत मायने रखती है। एक ओर जहां पीवी सिंधू रियो ओलंपिक में अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना का लक्ष्य लेकर उतरी थी वहीं कई भारतीय गूगल पर उसकी जाति खोजने में व्यस्त थे। 

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जी हां। आप भी देखिए लोगों ने कितनी बार सिंधू की जाति खोजी होगी की यह खोज गूगल के टॉप चार में आ गई। अफसोस की बात यह है कि गूगल एल्गोरिथ्म से यह साबित हो गया है।

Navodayatimesशब्द 'जाति' अपने आप सुझाव में नहीं दिख सकता। यह तभी होता है जब कोई शब्द बार-बार गूगल पर खोजा जाए। थोड़ी जांच के बाद परिणाम का पता लगाया गया। यदि गूगल ट्रेंड को देखा जाए तो सिंधू के सेमीफाइनल जीतने के बाद 19 अगस्त को लोगों ने गूगल पर उसको बारे में खोजना शुरू कर दिया। 

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सिंधू की जाति खोजने पर सबसे ऊपर आंध्रप्रदेश का नाम आया कि उस जाति के लोग सबसे ज्यादा उस क्षेत्र में रहते हैं। सूची में दूसरे स्थान पर तेलंगाना था। देखिए जाति खोजने के समय किन शब्दों का ज्यादा प्रयोग किया गया। भारत के लिए बेहद शर्म की बात है।

Navodayatimesसभी को यह डर है कि भारत फिर से कहीं जातिवाद का शिकार न हो जाए। सिंधू ने जहां पूरे भारत का नाम रोशन किया है वहीं आंध्रप्रदेश और तेलंगाना उसे अपने क्षेत्र का बताने के लिए आपस में लड़ रहे हैं।

Navodayatimesऐसा क्यों है कि भारत में जाति, क्षेत्र या जातीयता के बिना उनके खुद के रूप में लोगों को स्वीकार नहीं किया जाता। ऐसा क्यों नहीं होता कि उसे सिर्फ एक खिलाड़ी ही रहने दिया जाए जिसने भारत का नाम गौरवान्वित किया है। क्यों हम अभी भी एक व्यक्ति की जाति के बारे में इतना सोचते हैं?

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