नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। आईटीपीओ में नारी की यात्रा : वैदिक से आधुनिक युग तक विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। साहित्यिक संस्था अश्रुत पूर्वा के तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम में मलिा वक्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अधिकांश वक्ताओं लेखिकाओं, साहित्यकारों ने एक सुर में नारी सशक्तिकरण से लेकर पुरातन पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कविताओं और साहित्यिक रचनाएं अपना रास्ता खुद तय करती हैं।
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हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डा.रमा, डा. इला घोष,शिवाजी कॉलेज की प्रोफेसर ज्योति शर्मा, लेखिका अनिता पांडे और राजेश्वर वशिष्ठ ने मंच सेकल और आज की नारी की दशा और दिशा पर अपनी बात रखी। इस दौरान कवयित्री डा सांत्वना श्रीकांत के काव्य संग्रह 'स्त्री का पुरुषार्थ का विमोचन भी किया गया। इग्नू की प्रोफेसर डा. राजवंती ने कहा कि सांत्वना की कविताएं रचना संस्कार के बारे में बताती हैं। ये आने वाले वक्त का आगाज है। अनिता ने कहा कि कविता अपना रास्ता खुद तय करती है। कविता दिलों को जोड़ती है।
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