नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने पूछा है कि मजदूर कल्याण से संबंधित 20 हजार करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि कहां चली गई । क्या इसे चाय पाॢटयों पर खर्च कर दिया गया या फिर अधिकारियों की छुट्टियों पर खर्च कर दिया गया? न्यायालय ने आश्चर्य जताया कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) तक को इस बारे में पता नहीं है।
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शीर्ष अदालत गैर सरकारी संगठन ‘नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर सेंट्रल लेजिस्लेशन ऑन कंस्ट्रक्शन लेबर’ की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। संगठन ने आरोप लगाया है कि निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए भूमि-भवन कंपनियों से मिले जाने वाले कर का उचित इस्तेमाल नहीं हो रहा है क्योंकि लाभार्थियों की पहचान करने तथा उन तक लाभ पहुंचाने के लिए कोई तंत्र नहीं है। न्यायालय की टिप्पणी तब आई जब इसने मामले में कैग द्वारा दायर हलफनामे और रिपोर्ट पर गौर किया। इसने तथ्यों को पूर्णतया आश्चर्यजनक करार दिया।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘यहां तक कि कैग को भी नहीं पता कि धन कहां है। यह लगभग 20 हजार करोड़ रुपए की राशि है। शीर्ष अदालत ने कैग से कहा कि यह धन कहां जा रहा है ?
क्या यह चाय पार्टियों या अधिकारियों की छुट्टी पर खर्च हो गया? आप इसका पता लगाएं ।’ इसने कहा कि पहला कदम जो आवश्यक है, वह यह है कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र से 1996 में भवन एवं अन्य निर्माण मजदूर कल्याण कर अधिनियम लागू होने के समय से इस साल 31 मार्च तक एकत्रित धन के बारे में जानकारी ली जाए।
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पीठ ने कहा कि एकत्रित राशि की सूचना कैग कार्यालय को भेजी जाएगी ।’’ इसने कहा, ‘‘इसी तरह पिछले वर्षों में एकत्रित धन और भवन एवं अन्य निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड को भेजी गई राशि के बारे में 31 मार्च 2017 तक की स्थिति के अनुसार कैग को सूचित किया जाना चाहिए ।’’
न्यायालय ने कहा कि यदि कोई ऐसी राशि है जो एकत्र कर ली गई है, लेकिन बोर्ड को स्थानांतरित नहीं की गई है तो वह छह सप्ताह के भीतर स्थानांतरित किया जाना चाहिए और कैग को भी इसकी सूचना दी जानी चाहिए। पीठ ने अगली सुनवाई के लिए दो अगस्त की तारीख निर्धारित करते हुए कैग से कहा कि वह न्यायालय के समक्ष ब्योरा रखे ।
‘पता लगाएं किस तरह किया गया खर्च’ सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद कैग के प्रधान कानूनी सलाहकार ने कहा कि धन राज्यों के पास है और भवन एवं अन्य निर्माण मजदूर कल्याण बोर्डों के खातों के ऑडिट के लिए निर्देश दिया जा सकता है। इस पर पीठ ने कहा, ‘यदि उन्होंने चाय पार्टी पर धन खर्च कर दिया हो तो क्या ? आप पता लगाएं, कितना स्थानांतरित (कल्याण बोर्डों को) किया गया और उन्होंने किस तरह खर्च किया है।’
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केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मङ्क्षनदर सिंह ने शीर्ष अदालत को बताया कि राज्य समेकित खाता रखते हैं और यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि संबंधित कर से उन्हें कितनी राशि मिली। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेस ने पीठ से कहा कि इन कल्याण बोर्डों के खातों का ऑडिट करने का भी निर्देश दिया जाना चाहिए ।
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