Friday, Sep 29, 2023
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किसान आंदोलन: चौधरी-टिकैत आए एक साथ, बोले- बीजेपी को जिताना बड़ी गलती

  • Updated on 1/30/2021

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ इस समय पश्चिमी उत्तरप्रदेश (Uttar pradesh) में बीजेपी के खिलाफ महौल बनता दिख रहा है। केंद्र सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार इस महौल को लेकर चिंता में हैं। बीजेपी में भी इस महौल के खिलाफ काम करने के  लिए काम किया जा रहा है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने बीजेपी (BJP) के खिलाफ भड़ास निकाली है। उन्होंने कहा है कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो हमने बीजेपी को जीता दिया और चौधरी साहब को हरा दिया लेकिन अब उस गलती को सुधारा जाएगा।  

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बीजेपी को वोट देना हमारी गलती
बता दें नरेश टिकैत ने अपने भाई के आंसू देखकर जमकर भड़ास निकाली है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी ने हमारे साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी को जिताना हमारी सबसे बड़ी भूल थी। वह आगे इस गलती को नहीं दोहराएंगे। टिकैत के बयान के बाद पश्चिमी उत्तरप्रदेश में चौधरी अजित सिंह के साथ दूरियां कम होती दिख रही है। जिससे लग रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों को बहुत फायदा होने वाला है। और दोनों मिलकर बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले हैं। 

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पश्चिमी यूपी बन रहा है केंद्र
इस जुगलबंदी को देखकर बीजेपी की चिंता बढ़ गई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने अब अपने अफसरों को किसानों से भिड़ने से मना कर दिया है। सरकार ने अफसरों को निर्देश दिया है कि वह किसानों के साथ नरमी से पेश आए। जिसके बाद कुछ अफसरों ने टिकैत से भी बातचीत की है। बता दें उत्तरप्रदेश सरकार  इस समय किसान आंदोलन का केंद्र पश्चिम उत्तरप्रदेश में बनने से चिंतित है। पहले कृषि आंदोलन पंजाब और हरियाणा तक सीमित था मगर अब यब पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भी तेजी से अपनी पकड़ बना चुका है। 

किसान आंदोलन: चौधरी-टिकैत आए एक साथ, बोले- बीजेपी को जिताना बड़ी गलती 

टिकैत को फिर से मिला जनसमर्थन 
दूसरी तरफ किसान आंदोलन को तब गहरा धक्का लगा जब कुछेक किसान संगठन ने इस आंदोलन से पीछे हटने का फैसला लिया। ऐसा लगा कि सरकार अब किसान आंदोलन पर अंतिम चोट करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह सवाल उठना लाजिमी है कि सरकार उस समय राकेश टिकेत पर हाथ डालने से क्यों रुक गई जब उनके साथ कम समर्थक ही गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद थे? राकेश टिकेत को एक अभयदान देना कही मोदी सरकार की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है? आखिर मोदी-शाह ने राकेश टिकेत को नहीं हटाकर कोई बड़ी चूक तो नहीं कर दी? यह सारे सवाल आज सभी को सोचने के लिये मजबूर कर दिया है। साथ ही एक और सवाल जो खड़ा होता कि फिर से किसान आंदोलन को जिंदा करके किसका भला होगा- सरकार या विपक्ष या फिर किसान? जवाब पाने के लिये करना होगा अभी इंतजार।

 

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