ग्रेटर नोएडा (ब्यूरो)। अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण कार्यालय पर आंशिक धरने पर बैठे किसानों पर पुलिस ने मंगलवार को लाठीचार्ज कर दी, जिससे दो दर्जन किसान घायल हो गये। आधा दर्जन किसानों को गंभीर चोटें आयी है।
पीड़ितों को एक निजी अस्पातल में भर्ती कराया गया है। वहीं लाठीचार्ज की घटना के बाद किसान प्राधिकरण के सामने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दण्डामक कार्रवाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये हैं। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है।
दरअसल ग्रेटर नोएडा के किसान पिछले एक साल से कोर्ट के आदेश के बाद अपनी मांागों को लेकर लगातार प्राधिकरण से बातचीत कर रहे थे। किसानों का कहना है कि प्राधिकरण हर बार मांगों को लेकर सहमति व्यक्त कर आश्वासन देते रहे हैं, लेकिन पूरा नहीं कर रहे हैं।
किसानों ने बीते 30 मार्च को बैठक कर 12 अप्रैल को मांगों को लेकर बरती जा रही लापरवाही के चलते एक दिवसीय आंशिक धरना तथा प्राद्यिकरण को ज्ञापन सौंपे जाने का निर्णय किया था। मंगलवार को सुबह से ही प्राधिकरण के सामने किसान एकत्रित होने शुरू हो गये थे।
वहीं भारी पुलिस बल भी प्राधिकरण में मौजूद रहा। लगभग 11 बजे किसान नारे लगाते हुए ज्ञापन सौंपने के लिए प्राधिकरण के मुख्य गेट के सामने बढ़े। पुलिस ने किसानों को आगे बढऩे से रोक लिया। इसी दौरान पुलिस तथा किसानों के बीच कहासुनी तथा धक्का-मुक्की-मुक्की हो गयी। पुलिस ने हालात बिगड़ता देख किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया।
लाठीचार्ज के दौरान दो दर्जन किसान घायल हो गये। इस दौरान विकास निवासी सैनी, अजब सिंह निवासी मायचा, विक्की निवासी मायचा तथा पवन शर्मा निवासी सैनी सहित आधा दर्जन लोगों को गंभीर चोटें आयी हैं। पीड़ितों को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस कर रही लाठीचार्ज से इंकार
एसएसपी गौतम बुद्ध नगर किरण एस के अनुसार किसान ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों ने जबरन प्राधिकरण में प्रवेश करने का प्रयास किया। पुलिस तथा किसानों के बीच धक्का-मुक्की हुई है, लाठीचार्ज नहीं हुई।
‘कोर्ट के आदेश का पालन होगा’
किसानों की मांगों को लेकर प्राधिकरण का कहना है कि कोर्ट के आदेश का हर हाल में पालन किया जाएगा। प्राधिकरण सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखण्ड तथा 67.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देगा।
लेकिन प्राधिकरण ऐसे किसानों को प्राथमिकता देगा, जिन्होंने कोर्ट में प्राधिकरण के विरूद्ध रिट दायर की हुई है। प्राधिकरण किसानों के धरने-प्रदर्शन को निजी स्वर्थों की पूर्ति के लिए दबाव बनाने की रणनीति बता रहा है।
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