नई दिल्ली / टीम डिजिटल। दिल्ली-मेरठ के बीच तेज गति में दौडऩे वाली हाई स्पीड रेल-रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम(आरआरटीएस)के स्टेशनों पर भी अब मेट्रो स्टेशनों की तर्ज पर प्लेटफार्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) लगाई जाएगी। इसके लिए दिल्ली गाजियाबाद के बीच यह स्क्रीन डोर लगाने का कार्य सोमवार से आरंभ कर दिया गया है। फिलहाल इसकी शुरुआत दिल्ली-गाजियाबाद के प्राथमिकता वाले कॉरिडोर गुलधर आरआरटीएस स्टेशन से की गई है। इसके अंतर्गत प्लेटफार्म स्क्रीन डोर्स के विभिन्न पाट्र्स जिसमे ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर, फ्क्स्डि डोर पैनल, प्लैटफार्म इन गेट, आपातकालीन एस्केप डोर, और फ्क्स्डि स्क्रीन आदि लगाई जा रही है।
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हाई स्पीड रेल को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी एनसीआरटीसी के अधिकारी ने बताया कि शुरुआत से ही इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर यात्रियों की सुरक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया जा रहा है। इसी कड़ी में प्लेटफार्म स्क्रन डोर्स लगाने का कदम उठाया गया है। अधिकारी ने कहा कि स्क्रीन डोर्स को आरआरटीएस ट्रेन के दरवाजों व ईटीसीएस लेवल-2 सिग्नलिंग सिस्टम, के साथ एकीकृत किया जाएगा।
दुर्घटनाओं को रोकने में कारगर मानी जाती है यह प्रणाली
ताकि ट्रेन के दरवाजे प्लेटफार्म स्क्रीन डोर्स के साथ खुलेंगे और बंद होंगे। यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेन और प्लेटफार्म स्क्रीन डोर्स के दरवाजे बंद होने के बाद ही ट्रेन को चलाया जा सकेगा। प्राथमिकता वाले खंड के बाकी स्टेशनों के लिए भी प्लेटफार्म स्क्रीन डोर्स लगाने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। जैसे-जैसे इन स्टेशनों में रूफ शेड लगाने का कार्य पूरा होता जाएगा, प्लेटफार्म स्क्रीन डोर्स लगाने के काम को और तेजी से पूरा किया जाएगा।
गुजरात में हार के डर से आप को ‘कुचलने’ की कोशिश कर रही है भाजपा : केजरीवाल अधिकारी ने कहा कि स्क्रीन डोर्स ट्रेन और ट्रैक के बीच में यात्रियों की सुरक्षा के लिए ढाल के रूप में कार्य करेंगे। जिससे स्टेशनों पर बढिय़ा तरीके से भीड़ प्रबंधन हो सकेगा और अप्रिया घटना को रोकथाम में भी यह प्रणाली कारगर साबित होगी। अधिकारी ने कहा कि कई बार यात्रियों के पटरियों पर गिरने जैसी घटनाओं से भी इसमें बचाव संभव हो सकेगा। अधिकारी के अनुसार आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए एनसीआरटीसी यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस लेवल-2 ) की हाइब्रिड लेवल 3 तकनीक को लागू कर रहा है, जो दुनिया के सबसे उन्नत सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोल सिस्टम में से एक है। ऐसा दुनिया में पहली बार होगा कि लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) रेडियो पर आधारित सिग्नलिंग सिस्टम में नवीनतम डिजिटल इंटरलॉकिंग और स्वचालित ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) होगा। इससे ट्रेन की सेवा में हाई फ्रीक्वेंसी, बेहतर हेडवे और अधिक क्षमता संभव हो पाएगी। उल्लेखनीय है कि अगले तीन से चार माह के बीच ट्रेन का परीक्षण आरंभ होने की संभावना है। हालांकि पूरे कॉरिडोर पर चरणबद्ध तरीके से ही ट्रेन संचालन होगा।
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