Thursday, Mar 30, 2023
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From making Sanskrit a public language to the national language, Sanskrit Bharati will work:Kamat

संस्कृत को जनभाषा बनाने से लेकर राष्ट्रभाषा बनाने में जुटेगी संस्कृत भारती: दिनेश कामत

  • Updated on 3/6/2022

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। आरएसएस समर्थित संगठन संस्कृत भारती के तीन दिवसीय सम्मेलन की समाप्ति पर संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि संस्कृत को जनभाषा बनाने से लेकर राष्ट्रभाषा बनाने का काम किया जाएगा। 
संगठन के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने कहा कि संस्कृतभाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में प्रमुख भाषा है। उन्होंने कहा कि हम सभी संस्कृत अध्येताओं को यह प्रण लेना चाहिए कि संस्कृत पुन: राष्ट्रभाषा बने। जिससे हम आत्मनिर्भर भारत के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध हो सकें।

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उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को पुन: जनभाषा बनाने तथा भारतीय संस्कृति को जन-जन में प्रसारित करने के लिए संस्कृत भारती का यह प्रयास प्रशंसनीय है। समापन सत्र से पूर्व दिल्ली स्थित विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के संस्कृत प्राध्यापकों का सम्मेलन भी आयोजित हुआ, जिसमें संस्था की आगामी योजनाओं में संस्कृत प्राध्यापकों की भूमिका पर भी चर्चा की गई।

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उनके अलावा एनसीईआरटी के निदेशक प्रो.दिनेशप्रसाद सकलानी ने कहा कि समस्त भारतीय भाषाओं की पोषक भाषा के रूप में तथा भारत को एकसूत्र में बांधने में संस्कृत के योगदान से हम सब सुपरिचित हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि पाठ्यक्रम में संस्कृत सम्भाषण के बिन्दुओं को समाहित किया जाए, ताकि विद्यालयों में संस्कृत का वातावरण तैयार हो सके। कार्य्रक्रम में संस्कृतभारती के अखिल भारतीय सहसंगठन मंत्री  जयप्रकाश, दिल्ली के प्रांतमंत्री देवकीनंदन, प्रो रणजीत बेहेरा, डा धनंजय कुमार आचार्य, डा परमेश, प्रो जयप्रकाश नारायण, गणेश तिवारी, संजय मठपाल आदि शामिल रहे। गौरतलब है कि संस्कृत भारतीय संस्कृत भाषा की शिक्षा देने के लिए दस दिन का विशेष कोर्स का आयोजन भी करता है। 

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