नई दिल्ली / टीम डिजिटल। रीयल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट(रेरा) के निशाने पर डीडीए के कई निर्माणाधीन व पूरे हो चुके निर्माण कार्य आने के साथ ही अब लैंड पूलिंग पॉलिसी में बनने वाले सत्रह लाख से अधिक मकानों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अब तक पॉलिसी में जरूरी भूमि डीडीए को नहीं मिल सकी है। इस वजह से डीडीए ने भूमि कंसोर्टियम बनाने में भी लचीला रुख अपनाते हुए आवेदन की तिथि को फिर से बढ़ाया है। लेकिन प्रोजेक्ट से पूर्व रेरा के पास अब तक कोई आवेदन नहीं होने की वजह से माना जा रहा है कि इस वर्ष के अंत तक भी इस पॉलिसी में कोई भी निर्माण कार्य आरंभ नहीं हो सकेगा।
कई सरकारी निर्माण भी हैं रेरा के निशाने पर
दरअसल लैंड पूलिंग पॉलिसी में करीब सत्रह लाख आवास तैयार किये जाएंगे, जिसका दावा केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी किया था। इसमें पांच लाख किफायती आवास भी बनाए जाने हैं। पॉलिसी को लांच करने के बाद यह उम्मीद भी जताई गई थी कि इसके जरिये दिल्ली में तीन नई सब सिटी बसाने की केंद्रीय मंत्रालय की योजना भी परवान चढ़ सकेगी। किंतु लभग तीन वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी अब तक स्थिति जस की तस ही बनी हुई है।
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रेरा से जुड़े अधिकारी का कहना है कि उनके पास फिलहाल लैंड पूलिंग पॉलिसी में प्रोजेक्ट अथवा निर्माण की मंजूरी के लिए आवेदन नहीं मिला है। रेरा अधिकारी के अनुसार डीडीए के भी कुछ निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए अब तक कोई मंजूरी रेरा की तरफ से नहीं दी गई है। ऐसे परियोजनाओं को चिन्हित भी किया जा रहा है। डीडीए के एक अधिकारी का कहना है कि लैंड पूलिंग पॉलिसी में आवेदन मांगने की समयसीमा को फिलहाल तीन महीने के लिए और बढ़ाया गया है। अधिकारी के अनुसार अभी किसी भी आवेदन पर निर्माण आदि की मंजूरी नहीं दी गई है। जब तक डीडीए से मंजूरी नहीं मिलेगी तब तक कोई भी आवेदक रेरा के समक्ष अपना आवेदन नहीं जमा कर सकता है। क्योंकि रेरा में निर्माण और प्रोजेक्ट के आधार पर ही दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है। लेकिन जब तक प्रोजेक्ट और निर्माण ही स्वीकृत नहीं होंगे तो उस पर रेरा के पास आवेदन करने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए फिलहाल डीडीए का पूरा ध्यान पॉलिसी में अधिक से अधिक भूमि से जुड़े आवेदन प्राप्त करना और जल्द से जल्द नए सेक्टरों मेें विभिन्न जोन के अंतर्गत सुविधाएं विकसित करने पर है।
क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी
-डीडीए की भूमिका केवल भूमि का कुछ हिस्सा आवेदनकर्ताओं से लेकर उसे सामुदायिक सुविधाओं के लिए विकसित करने का होगा, जबकि शेष भूमि को वापस आवेदनकर्ताओं को सौंपा जाएगा -योजना में लग्जरी व किफायती आवास बनेंगे -अधिकतर दिल्ली के बाहरी इलाके में तैयार होंगे आवास - विभिन्न किसान समूह, एकल किसान अथवा डेवलपर आदि भूमि संग्रह करके डीडीए के समक्ष आवेदन कर सकते हैं -इसमें निजी डेवलपर अथवा प्रमोटर स्वयं किसानों से भूमि संग्रह करेंगे, सरकारी एजेंसी भूमि अधिग्रहण नहीं करेगी -करीब पांच लाख किफायती आवास भी बनेंगे
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