नई दिल्ली (टीम डिजिटल)। सम्पत्ति के ट्रांसफर से मतलब उसके अधिकार को किसी अन्य के नाम करने या उसके स्वामी को बदलने से है। इस संबंध में कुछ कानूनी शब्दों तथा तथ्यों के बारे में जान लेना चाहिए।
‘रैलिनक्विशमैंट’
‘रैलिनक्विशमैंट’ (त्याग) से तात्पर्य सम्पत्ति में उत्तराधिकार में मिले अपने अधिकार को अन्य हिस्सेदार के पक्ष में त्याग देने से होता है। सरल शब्दों में कहें तो ‘रैलिनक्विशमैंट’ ऐसा पारिवारिक बंदोबस्त है जिसके तहत एक सदस्य सम्पत्ति पर अपना अधिकार दूसरे सदस्य के लिए त्याग देता है। फिर चाहे तो उसे इसके एवज में पैसा दिया गया हो या नहीं। ‘रैलिनक्विशमैंट’ डीड किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में नहीं हो सकती है जो सम्पत्ति का वैध उत्तराधिकारी न हो। इस पर यदि किसी तरह का कैपिटल गेन्स का लाभ हो रहा तो उस पर टैक्स भी अदा करना पड़ सकता है।
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ऑनरशिप रजिस्ट्रेशन का ट्रांसफर
‘रैलिनक्विशमैंट’, बिक्री या गिफ्ट डीड द्वारा किसी व्यक्ति के नाम सम्पत्ति का ट्रांसफर हो जाने के बाद आवश्यक है कि म्युनिसीपल रिकार्ड्स में भी इस बदलाव को दर्ज करवा दिया जाए। इस पर स्टैम्प ड्यूटी अपने राज्य के नियमों के अनुरूप अदा करनी पड़ सकती है।
गिफ्ट डीड पर स्टैम्प ड्यूटी अन्य सम्पत्तियों पर अदा किए जाने वाली स्टैम्प ड्यूटी के समान या अलग भी हो सकती है। कई राज्यों में सगे संबंधियों में की गई गिफ्ट डीड पर स्टैम्प ड्यूटी की अदायगी से छूट भी है।
न्यूनतम मूल्य
अचल सम्पत्ति के न्यूनतम मूल्य पर स्टैम्प ड्यूटी अदा की जाती है। आमतौर पर यह न्यूनतम मूल्य सम्पत्ति का सर्कल रेट होता है। सर्कल रेट से कम स्टैम्प ड्यूटी की अदायगी होने पर भी सब रजिस्ट्रार को उसे स्वीकार करना होता है परंतु इसके बाद वह दस्तावेजों को जब्त करके पूरी स्टैम्प ड्यूटी वसूल करवा सकता है। इस संबंध में खरीदार चाहे तो प्रमाण पेश कर सकता है कि डीड में लिखा गया सम्पत्ति का मूल्य एकदम सही है और यही उसका बाजार मूल्य भी है।
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राज्य नियमों का पालन जरूरी है
राज्य सरकारें स्टैम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क सम्पत्ति के घोषित मूल्य या सर्कल रेट में से जो भी अधिक हो उस पर लेती हैं। इन मूल्यों को आमतौर पर सम्पत्ति के मूल्य के कुछ प्रतिशत के आधार पर वसूल किया जाता है और ये दरें हर राज्य में अलग-अलग हैं।
अन्य शुल्क
आमतौर पर सम्पत्ति के मूल्य का 1 प्रतिशत पंजीकरण शुल्क के रूप में वसूला जाता है। यदि खरीदार महिला है तो उसे स्टैम्प ड्यूटी में कुछ प्रतिशत छूट भी कुछ राज्यों में दी जाती है। दिल्ली में तो महिला खरीदार होने पर 4 प्रतिशत तक की स्टैम्प ड्यूटी ली जाती है जबकि अन्य से इसकी वसूलने की दर कुछ अधिक है।
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