Tuesday, Jun 06, 2023
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मोक्ष प्राप्ति के लिए मनाए राधा अष्टमी, जानिए क्या हैं पूजा और व्रत विधान…

  • Updated on 8/25/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राधा का जन्म हुआ था। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के बरसाना में हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होकर राधा का जन्मदिन मनाते हैं। इस दिन बरसाने में अनुपम छटा देखने को मिलती है, पूरी रात यहां चहल पहल रहती है। 

इस मौके पर यहां कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन रखा जाता है। इन कार्यक्रमों की शुरुआत भजन और गीतों से होती है। राधा अष्टमी पूजन करने वाले भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं। इस बारे में ये भी कहा जाता है कि जो लोग राधा अष्टमी का उपवास रखते हैं राधा उन्हें दर्शन देती हैं। बता दें कि इस बार राधा अष्टमी का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा।

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ये हैं मुहूर्त 
इस बार राधा अष्टमी के शुभ मुहूर्त की शुरुआत आज 12:21 बजे से हो जाएगी। कल यानी 26 अगस्त को सुबह 10:39 बजे शुभ मुहूर्त का समापन हो जाएगा। ये अष्टमी त्योहार की तरह मनाई जाती है। खास कर मथुरा, वृंदावन और बरसाना में बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा भाव इसे मनाया जाता है। 

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राधा जाप से मोक्ष की प्राप्ति 
कृष्ण-राधा का प्रेम किसी से छुपा नहीं है। इसी प्रेम और दोनों के साथ को हमारे वेद, पुराणों में अजर-अमर बताया गया है। कृष्ण राधा के बिना और राधा कृष्ण के बिना अधूरी हैं इसलिए इनका नाम भी एक साथ लिया जाता है। दोनों के दर्शन और उपासना को मोक्ष की प्राप्ति माना जाता है। 

राधा अष्टमी को लेकर खास मान्यता है कि राधा का नाम जपते हुए इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत पूजा के दौरान राधा की धातु से बनी मूर्ति को पूजा जाता है और उसके बाद इसे  ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है।

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ऐसे करें राधा की उपासना और पूजा 
-सवेरे नहा-धो कर कलश स्थापित करें और कलश पर तांबे का बर्तन रखें। 

-इसके बाद राधा की मूर्ति को पंच अमृत से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें कपड़े और आभूषण से राधा का श्रंगार करें।

-इसके बाद राधा की मूर्ति को कलश पर रखे बर्तन में रख दीजिये। इसके बाद धूप-बत्ती से आरती करिए। 

-इसके बाद भोग लगाएं और फिर पूजा के बाद से उपवास शुरू करें। अपने व्रत के अगले दिन दक्षिणा और भोजन महिलाओं और ब्राह्मणों को दें।

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