देहरादून/ब्यूरो। गैरसैंण पर फिर से सियासी जंग छिड़ गई है। विधानसभा में पारित संकल्प से इतर इस पर्वतीय क्षेत्र में इस साल एक भी सत्र नहीं कराने के फैसले पर सवाल खड़े हो गये हैं। कांग्रेस नेताओं के बाद अब भाजपा (BJP) के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार (Government) की घेराबंदी शुरू कर दी है। वर्ष 2019 में विधानसभा का एक भी सत्र गैरसैंण में नहीं हुआ।
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हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार (Congress Government) ने हर साल कम से कम एक सत्र गैरसैंण में आयोजित कराने का फैसला लिया था। नैतिक दबाव में वर्ष 2017 और 2018 में त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में भाजपा सरकार (BJP Government) ने भी इसे फालो किया। परंतु वर्ष 2019 में एक भी सत्र गैरसैंण में नहीं हुआ। वर्ष का अंतिम यानी शीतकालीन सत्र (Winter Session) चार दिसम्बर से देहरादून में होगा। इसे लेकर सियासत गर्म है।
हरीश रावत मुख्यमंत्री के बयान से सहमत नहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल सीएम के इस फैसले का विरोध करते हुए भाजपा सरकार को गैरसैंण विरोधी करार दे चुके है। इसी तरह हरीश रावत (Harish Rawat) भी गैरसैंण में सत्र नहीं होने को लेकर चिंतित हैं। वह मुख्यमंत्री के ठंड वाले बयान से सहमत नहीं। गैरसैंण पर सरकार के निर्णय का विरोध विपक्ष से होता हुआ सत्ता पक्ष तक भी पहुंच गया है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल साफ कह चुके हैं कि गैरसैंण में सत्र आहूत कराने को लेकर हम तैयार है। निर्णय सरकार को लेना है।
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विधानसभा अध्यक्ष के बाद अब कद्दावर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी गैरसैंण के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। रविवार को मीडिया से उन्होंने कहा कि गैरसैंण संवेदना से जुड़ा मुद्दा है। इस पर सियासत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने गैरसैंण में एक सत्र का आहूत कराना जरूरी माना है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि अपनों के हमले से सरकार असहज है। वह जल्द ही इस बारे में कोई न कोई फैसला लेगी। विधानसभा का अगला सत्र गैरसैंण में ही आयोजित होगा। सत्र आहूत कराना सरकार का अधिकार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (Trivendra singh Rawat) पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सत्र किस जगह आहूत होगा यह सरकार को तय करना होता है। ठंड समेत अन्य परिस्थियों को देखते हुए ही देहरादून को सत्र के चुना गया है।
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