Tuesday, Dec 12, 2023
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उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में बढ़ी फीस पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

  • Updated on 11/25/2019

देहरादून/ब्यूरो: निजी आयुष कॉलेजों की मनमानी के चलते त्रिवेन्द्र सरकार (Trivendra Government) की जबरदस्त किरकिरी हुई है। छात्रों के आन्दोलन के सामने झुकी सरकार ने इन निजी कालेजों को हाईकोर्ट (Highcourt) के फैसले पर अमल करने के आदेश तो दे दिये, लेकिन इस आदेश का पालन करना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। यह बात इसलिये कही जा रही है क्योंकि मनमानी पर उतारू निजी कालेजों के प्रबंधन इसी मामले में पूर्व में दिये हाईकोर्ट और आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति तक के आदेश की नाफरमानी कर चुके हैं।

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80 हजार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार हुई फीस
उत्तराखंड (Uttrakhand) आयुर्वेद विश्वविद्यालय (University) से सम्बद्ध आयुष शिक्षा कॉलेजों में वर्ष 2015 में जो फीस वृद्धि का शासनादेश जारी किया गया था। इस शासनादेश के तहत आयुर्वेद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 13 निजी आयुष कालेजों ने सीधे ही लगभग तीन गुना (80 हजार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार) फीस बढ़ा दी। इतना ही नहीं ऐसी अराजकता प्रदेश में पहली बार हुई कि शासनादेश जारी होने की तिथि से पहले के सत्रों से बढ़ा हुआ शुल्क छात्रों से वसूला जाने लगा।

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सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठन
हैरानी देखिए कि फीस बढ़ाने के लिये अनिवार्य शुल्क निर्धारण समिति की संस्तुति तक लेना मुनासिब नहीं समझा गया। शुल्क निर्माणरण समिति का गठन उच्च न्यायालय (High Court) के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में किया गया है। नियम के तहत समिति की सिफारिश पर ही निजी कालेज फीस में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। आन्दोलनरत छात्र जब इस मामले को लेकर हाईकोर्ट गये तो कोर्ट ने बढ़ाई गई फीस पर रोक लगाते हुए छात्रों से पुरोनी दर पर ही फीस लेने के आदेश जारी किये।

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बावजूद इसके कालेज प्रबंधन बढ़ी फीस छात्रों से वसूलते रहे। छात्रों के आन्दोलन के बाद मामले ने तूल पकड़ा तो आयुर्वेद विवि के कुलपति ने 13 निजी कालेजों के प्रबंधन को वार्ता के लिये बुलाया लेकिन तीन बार बुलाने पर भी प्रबंधन बैठक में नहीं पहुंचे। साफ है कि कालेज प्रबंधन को कहीं न कहीं ‘रसूखदारों’ का संरक्षण प्राप्त है। ऐसे में क्या वे सरकार (Government) के आदेश को मानेंगे इसे लेकर संशय है।

 

 

 
 
 
 
 
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