Friday, Sep 29, 2023
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Chor Minar, where thieves were punished

चोर मीनार, जहां दी जाती थी चोरी करने वालों को सजा

  • Updated on 4/30/2023

नई दिल्ली। अनामिका सिंह। कहते हैं कि चोरी बुरी बात है और चोरी करने वाले को भगवान कभी माफ नहीं करता। यही वजह है कि बादशाहों के शासन के दौरान चोरी करने वालों के लिए बेहद कठोर सजा का प्रावधान हुआ करता था। कई बार उनके हाथ या पैर कटवा दिए जाते थे या फिर आंखों को निकाल दिया जाता था। लेकिन अपने शासनकाल में चोरी के लिए सबसे कठोर सजा का नियम बनाया अलाउद्दीन खिलजी ने। वो अपने शासन के दौरान चोरी करने वालों का अंग भंग करने की बजाय उनके जीवन को ही समाप्त कर दिया करता था। यही नहीं इस कठोर सजा को देने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने बकायदा एक मीनार का निर्माण भी करवाया था, जिसे चोर मीनार के नाम से जाना जाता है। ये चोर मीनार आज भी हौजखास में स्थित है। इतिहासकार बताते हैं कि आज से 700 साल पहले तक इस चोर मीनार के नाम से लोग थर-थर कांपा करते थे। 

 

सिर काटकर मीनार के सुराखों में रखवा था खिलजी
अलाउद्दीन खिलजी का शासनकाल 20 वर्षों का माना जाता है जोकि 1296-1316 है। जब उसने चोर मीनार बनाई थी तो चोरी करने वालों को वो कठोर दंड स्वरूप जहां जान से मार दिया करता था। वहीं अन्य लोगों को सबक सीखाने के लिए चोर का सिर काटकर मीनार में मौजूद सुराखों पर रख दिया करता था। लटके हुए सिर को देखकर लोगों के मन में दहशत बैठ जाती थी और वो चोरी करने के नाम से डरा करते थे। 

 

कभी यहां आने से डरते थे लोग
कहते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी द्वारा सख्त सजा पाने के बाद जिस तरह से आरोपियों के सिरों को यहां लटकाया जाता था, उससे आस-पास के लोग यहां आने से काफी डरा करते थे। जहां कुछ लोगों का कहना था कि यहां उन बुरे चोरों की आत्मा भटकती है। वहीं कुछ अपनी आंखों के सामने इस मंजर को देखकर डरे हुए थे। लेकिन 13वीं शताब्दी में जहां लोग आने से डरते थे, वहां अब हौजखास इंक्लेव बसा हुआ है। जो दिल्ली के पॉश इलाकों में शुमार है। 

 

200 से अधिक हैं चोर मीनार में सुराखें
अलाउद्दीन खिलजी को एक क्रूर व तानाशाही शासक के रूप में जाना जाता है। जो अपने सामने खड़े होने वाले की हत्या बड़ी ही क्रूरता के साथ किया करता था। कहते हैं कि लोगों को अपराध के साथ ही अपने खिलाफ होने वाले विद्रोहों के प्रति डराने के लिए उसने चोर मीनार में 200 से अधिक सुराखें बनवाई थीं। कई बार वो एक साथ कई अपराधियों या विद्रोहियों के सिरों को काटकर यहां सुराखों में टांगता था और लोगों के मन में अपनी दहशत पैदा कर देता था। 


मंगोलों का सिर काटकर खिलजी ने यहां लटकाया था
इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी चाहे जितना क्रूर शासक रहा हो लेकिन ये भी सच है कि उसने ताकतवर मंगोलों का सामना करते हुए उन्हें भारत में शासन करने में कामयाब नहीं होने दिया था। कहते हैं कि इस चोर मीनार पर उसने मंगोल आक्रमणकारियों की हत्या कर उनके सिरों को सुराखों में टंगवा दिया था। वो मंगोल आक्रमणकारियों के खिलाफ एक मजबूत दीवार की तरह खड़ा रहा और कई बार उसके सैनिकों ने मंगोल आक्रमणकारियों को मार भगाया। 


विद्रोहियों के पूरे परिवार को देता था खिलजी सजा
कहते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल के दौरान क्रूरता की हद पार कर दी थी, यही वजह है कि इतिहास में उसके द्वारा फैलाए गए आतंक की कई कहानियां काफी मशहूर हैं। कहते हैं कि खिलजी अपने खिलाफ विद्रोह करने या उसकी बात को ना मानने वाले को तो जान से खत्म करता ही था बल्कि उसके परिवार के महिलाओं और बच्चों व अन्य सदस्यों को भी नहीं छोड़ता था। वो अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी को मारकर गद्दी पर बैठा था, जो उसके ससुर भी थे। उसने अपने भतीजे को भी जान से मरवा दिया था और उसकी आंख निकलवा ली थीं। 

 

एएसआई कर रही है चोर मीनार का संरक्षण
हौजखास स्थित चोर मीनार का संरक्षण कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किया जा रहा है। लाल बलूआ पत्थर से बनी यह इमारत एक चबूतरे पर खड़ी है जिसके ऊपर एक मीनार बनाई गई है। इस मीनार में 200 सुराख किए गए हैं। एएसआई द्वारा इसे समय-समय पर संरक्षित किया जाता है साथ ही इसके आस-पास पार्क का निर्माण करवाया गया है। इस चोर मीनार को देखने के लिए किसी प्रकार की टिकट भी नहीं लेनी पड़ती है। 

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