Friday, Mar 24, 2023
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दिल्ली दंगा चार्जशीट में आरोप- महिला प्रदर्शनकारियों को मिलती थी दैनिक मजदूरी

  • Updated on 9/23/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली दंगों (Delhi Riots) की चार्जशीट (Chargsheet) में पुलिस ने बयानों के आधार पर आरोप लगाया है कि शाहीन बाग (Shaheen Bagh) और जामिया (Jamia) के पास सीएए के विरोध में बैठी महिलाओं को दैनिक मजदूरी दी जाती थी। ये मजदूरी उन्हें दिल्ली दंगों के साजिशकर्ताओं द्वारा दी जाती थी। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जो पिछले सप्ताह कड़कड़डूमा कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया है उसमें ये आरोप लगाया गया है। 

आरोप पत्र में यह भी कहा गया है कि महिलाओं को धरने पर बैठकर दंगों के साजिशकर्ताओं ने  सेक्यूलर कवर, जेंडर कवर और मीडिया कवर के लिए इस्तेमाल किया था। पुलिस ने गवाहों के बयान और व्हाट्सएप चैट के आधार पर आरोप लगाया है कि शिफा-उर-रहमान (जामिया समन्वय समिति के सदस्य और जेएमआई के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष) और अन्य लोगों ने नकद और बैंक खातों में मुख्य रूप से धन एकत्र किया और धरने पर बैठी महिला को रसद और दैनिक मजदूरी प्रदान करने के लिए इस धन का उपयोग किया। 

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AAJMI ने प्रदर्शनकारियों को दी ये सुविधाएं
AAJMI ने प्रदर्शनकारियों को जामिया मिलिया विरोध स्थल के गेट नंबर 7 पर माइक, पोस्टर, बैनर, रस्सियां आदि भी प्रदान किए। AAJMI ने विरोध के लिए किराए पर ली गई बसों का भुगतान भी किया। जामिया गेट नंबर 7 के विरोध स्थल पर AAJMI का दैनिक खर्च 5,000- 10,000 रुपये के बीच था। पुलिस ने दिसंबर 2019 में जामिया में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के तार फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों से जोड़ते हुए कहा कि जामिया हिंसा दिल्ली दंगे का पूर्ववर्ती रूप था।

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महिलाओं और बच्चों को किया आगे
पुलिस का कहना है कि जामिया और शाहीन बाग प्रदर्शन स्थल दंगाइयों ने जानबूझकर छोड़े और वहां किसी भी प्रकार की गतिविधि को अंजाम नहीं दिया। महिलाओं को आगे किया और फरवरी 2020 में उनका विरोध मुख्यरूप से जामिया में दिसंबर में हुई हिंसा के खिलाफ रखा गया। 

पुलिस ने दावा किया कि 2019 का पूर्ववर्ती दंगा जब देशव्यापी आकर्षण हासिल नहीं कर सका तब  कथित षड्यंत्रकारियों ने इन विरोध प्रदर्शनों को धर्मनिरपेक्ष मोर्चे के साथ जोड़ने की कोशिश की और  पुलिस का सामना करते हुए एक ढाल के रूप में महिलाओं और बच्चों का सहारा लिया।

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