नई दिल्ली। दिल्ली के शहरी विकास मंत्री ने बेघरों के लिए 8 रैन बसेरों को हाल ही में तोड़े जाने के लिए दिल्ली सरकार के शहरी आश्रय सुधार बोर्ड की आलोचना करते हुए कहा है कि यह अमानवीय कार्रवाई सरकार की अनुमति के बिना की गई। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) को लिखे एक पत्र में मंत्री ने अपने निदेशक की कथित टिप्पणी का उल्लेख किया कि विध्वंस दिल्ली सरकार के आदेश पर किया गया था और यह जानने की कोशिश की गई थी कि सरकार से किसने आदेश दिया और क्या यह लिखित या मौखिक था। उन्होंने कहा कि मुझे मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि केजी (कश्मीरी गेट) आईएसबीटी के पास जवाहर श्रमिक स्थल, यमुना पुश्ता में आठ बेघर रैन बसेरों को 10 मार्च की रात को अमानवीय तरीके से ध्वस्त कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह निवासियों को बिना किसी पूर्व सूचना या सूचना के किया गया है, उनके पुनर्वास और स्थानांतरण को सुनिश्चित करना तो दूर की बात है। उन्होंने दावा किया कि डीयूएसआईबी के अधिकारियों ने बिना किसी सूचना या सरकार की अनुमति के यह फैसला लिया है।
लगभग 1,185 रहने वाले लोग बिना किसी सूचना के बेघर हो गए थे। एक मंत्री के रूप में यह जानकर सदमे में हूं कि आश्रय का हाल ही में एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) द्वारा निरीक्षण किया गया था और इसके बाद इसे बेहतर तरीके से विस्तारित करने के लिए एक बड़ा निवेश किया गया था। बावजूद इसके सुविधाएं ध्वस्त कर दी गई हैं।
उन्होंने दावा किया कि डीयूएसआईबी के कुछ अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित बेघरों को आश्रय प्रदान करने के सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए सरकार को सूचित किए बिना एकतरफा निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि कार्रवाई करने से पहले न तो उपाध्यक्ष और न ही बोर्ड के अध्यक्ष को जानकारी में रखा गया था। उन्होंने जानना चाहा कि इन आश्रयों का निर्माण कब हुआ और इनके निर्माण और जीर्णोद्धार पर अब तक कितना व्यय किया गया है।
आश्रय की क्षमता क्या थी और इसे गिराते समय इस आश्रय स्थल से विस्थापित लोगों को फिर से आश्रय देने के लिए क्या प्रावधान किए गए थे? डूसिब के निदेशक ने सोशल मीडिया में कहा है कि विध्वंस दिल्ली सरकार के आदेश पर किया गया है। उन्होंने लिखा कि डूसिब कृपया बताए कि दिल्ली सरकार में किसने ये निर्देश दिए हैं।
उन्होंने पूछा कि क्या ये विध्वंस किसी अदालत के आदेश पर किया गया है।उन्होंने लिखा कि क्या किसी और बेघर आश्रयों को गिराने या हटाने का कोई अन्य प्रस्ताव है और यदि ऐसा है तो इस संबंध में पूरी जानकारी समयसीमा के साथ शहरी विकास मंत्री कार्यालय को दी जाए।
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